आगरा। कोरोना वायरस की दहशत के बीच आगरा में उपचार के अभाव में छह मरीजों की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। अधिवक्ता अंकित गोगिया ने विशेष याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि उपचार के अभाव में छह लोगों की जान चली गई।
सरकारी अस्पताल कोरोना के अलावा किसी और मरीज का उपचार नहीं कर रहे हैं। निजी अस्पताल मरीजों को भर्ती करने से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने याचिका में महापौर नवीन जैन के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 21 अप्रैल को भेजे गए खत का हवाला भी दिया है, जिसमें आगरा की स्थिति बेहद खराब बताई गई और कहा गया कि यह शहर दूसरा वुहान न बन जाए।
अंकित गोगिया ने बताया कि उन्होंने याचिका में मांग की है कि गैर कोरोना मरीजों को हर हाल में उपचार मिलना चाहिए। जिन लोगों की जान गई है, उनमें आठ माह का बच्चा भी है। व्यापारी की मौत सिर्फ इसलिए हुई, क्योंकि समय पर डायलिसिस नहीं हुई। यह गंभीर स्थिति है।
बाल आयोग ने डीएम को नोटिस जारी किया
उपचार के अभाव में दो बच्चों की मौत हो जाने के मामले में बाल आयोग ने गंभीरता दिखाते हुए जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब देने के लिए कहा है। बाल आयोग में शिकायत महफूज संस्था के अध्यक्ष नरेश पारस ने की थी।
उन्होंने बताया कि छीपीटोला और ऑलिया रोड पर एक-एक बच्चे की मौत सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि उनको उपचार नहीं मिला। न सरकारी में और न ही निजी अस्पतालों में। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। लोग डरे हुए हैं कि अगर तबीयत बिगड़ जाए तो क्या होगा? क्योंकि उपचार नहीं मिल रहा है। आयोग ने जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है।