तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके आज पार्टी की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ मना रही है। इस मौके पर पार्टी के नेता पलानीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम ने चेन्नई के रोयापेट्टा में पार्टी के संस्थापक एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। आज सबसे बड़ी बात यह रही कि पार्टी से निष्कासित नेता वीके शशिकला ने भी रामावरम में पार्टी के संस्थापक एमजी रामचंद्रन को पुष्पांजलि अर्पित कीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी और लोगों के कल्याण के लिए अब एकजुट होने का समय आ गया है। इससे पहले शनिवार को वह पार्टी की पूर्व प्रमुख जयललिता की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। हालांकि इस दौरान वह भावुक भी दिखीं।
मन का बोझ हल्का हो गया: शशिकला
वहीं इससे पहले शनिवार को शशिकला ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को श्रद्धांजलि देने के बाद कहा था कि उनके मन का बोझ हल्का हो गया है, जो 2016 में जयललिता की मौत के बाद लगभग पांच साल उनके मन में बना रहा। शशिकला ने जयललिता की समाधि पर श्रद्धांजलि देने के बाद यह बात कही। शशिकला ने कहा था कि उन्होंने हालिया सालों में हुई घटनाओं के बारे में ‘अम्मा को बताया’ और यह भी कहा कि पार्टी का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि पार्टी के संस्थापक एमजी रामचंद्रन और दिवंगत सुप्रीमो जयललिता पार्टी कार्यकर्ताओं और तमिलनाडु के लोगों के लिए जीते थे और उन्हें विश्वास है कि वे पार्टी और कार्यकर्ताओं को बचाएंगे।
क्या राजनीतिक वापसी करना चाहती हैं शशिकला?
शशिकला के समाधि पर जाने को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह राजनीति में धीरे-धीरे वापसी की घोषणा करने का एक औपचारिक तरीका हो सकता है। अब, ऐसा लग रहा है कि वह राजनीतिक वापसी करना चाहती हैं।
शशिकला को एआईएडीएके का झंडा फहराने का कोई अधिकार नहीं: डी जयकुमार
अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मंत्री डी जयकुमार ने कहा कि शशिकला को एआईएडीएके का झंडा फहराने या हमारी पार्टी के नाम का इस्तेमाल करने और खुद को महासचिव होने का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर शशिकला खुद को अन्नाद्रमुक की महासचिव होने का दावा करती हैं तो यह अदालत के आदेश के खिलाफ है।