मुजफ्फरनगर. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की नेता साध्वी प्राची ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है जिसमें उसने सीएए हिंसा में शामिल आरोपियों के पोस्टर को हटाने का आदेश यूपी सरकार को दिया था। साध्वी ने कहा कि ऐसे न्यायाधीश से पूछा जाना चाहिए कि उन्हें उप्र में शांति चाहिए या दंगा चाहिए। अगर आप फोटो उतरवाना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आप दंगाईयों के साथ हैं।
दिल्ली में हुई हिंसा पर बोलते हुए साध्वी ने कहा कि दिल्ली की हिंसा एक सोची-समझी साजिश थी। हिंदुस्तान के अंदर कुछ दंगाई, कुछ जेहादी लोग हिंदुस्तान को जलाना चाहते हैं। ताहिर हुसैन उसका ताजा सबूत है। मुझे कुछ ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं। लखनऊ में दंगाइयों के पोस्टर उतारने के हाईकोर्ट के आदेश पर बोलते हुए साध्वी प्राची ने कहा कि सरकार ने बहुत सराहनीय कदम उठाया है। सरकार को किसी भी कीमत पर दंगाइयों के फोटो नहीं उतारने चाहिए। उत्तर प्रदेश के सभी बुद्धिजीवी लोगों से मैं यह निवेदन करना चाहती हूं कि न्यायाधीश से पूछें कि उत्तर प्रदेश में शांति चाहिए या दंगा चाहिए।
आपको दंगा चाहिए तो फोटो उतरवा दीजीए – साध्वी प्राची
साध्वी ने कहा कि अगर आपको दंगा चाहिए तो फोटो उतरवा दीजिए, अगर शांति चाहिए तो जो सरकार जो कर रही है ठीक कर रही है। अगर आप दंगाइयों के फोटो उतरवाना चाह रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप दंगाइयों के साथ हैं। यूपी की तर्ज पर दिल्ली में भी दंगाइयों से वसूली की जानी चाहिए। तभी इन दंगाइयों के हौसले पस्त हो सकते हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली में इतना बड़ा बवाल किया है। दंगाइयों ने हिंदुस्तान की छवि को खराब करने का कुछ जिहादियों का यह एक षड्यंत्र था। दिल्ली में IB के जवान की निर्मम हत्या की गई है यही इन जिहादियों को सिखाया जाता है और जिहादियों को मुंहतोड़ जवाब देना पड़ेगा।
हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी लगा था योगी सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा के आरोपियों के पोस्टर के हटाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने 9 मार्च को दिए हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। गुरुवार को जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की वेकेशन बेंच में इस मामले में सुनवाई हुई।
इस दौरान कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा कि किस कानून के तहत आरोपियों के होर्डिंग्स लगाए गए। अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं, जो इसकी इजाजत देता हो। इस मामले में अगले हफ्ते नई बेंच सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने की कार्रवाई को निजता में गैर जरूरी हस्तक्षेप करार दिया था।