नई दिल्ली। ग्लोबल इकोनॉमी पर कोरोना का क्या और कितना असर हो सकता है, इसका भयावह उदाहरण सोमवार को अमेरिकी बाजारों में देखने को मिला है। यूएस क्रूड ऑयल फ्यूसर्च में सोमवार को डब्ल्यूटीआइ क्रूड ऑयल की कीमत 18 डॉलर प्रति बैरल के भाव से एकदम भरभराते हुए 104 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ इतिहास में पहली शून्य डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे चली गई।
समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक मई महीने के लिए वायदा कारोबार में डब्ल्यूटीआइ (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट) क्रूड की कीमत खबर लिखे जाने तक शून्य डॉलर से भी नीचे -1.43 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट के स्तर पर कारोबार कर रही थी। इस दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत भी थोड़ा गिरकर 26.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर थी।
हालांकि इस गिरावट के बावजूद भारतीय ग्राहकों को पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कोई राहत मिलने के आसार नहीं है। एक महीने से भी ज्यादा समय से देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें कमोवेश एक ही स्तर पर कायम हैं। लॉकडाउन की वजह से पेट्रोल व डीजल की मांग एकदम घट गई है।
भारतीय तेल कंपनियों का कहना है कि क्रूड की कीमत कम होने के बावजूद वे अभी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा खरीदारी नहीं कर रही हैं। इसके पीछे वजह यह है कि उनके पास अतिरिक्त भंडारण की जगह नहीं है। साथ ही लॉकडाउन को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। तीन मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी सब सामान्य हो जाएगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता। ऐसे में भारतीय तेल कंपनियां वायदा सौदों में भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही।