वाशिंगटन। अमेरिका में जासूसी के संदेह में ट्रंप प्रशासन चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवे समेत कई प्रौद्योगिकी कंपनियों पर रोक लगा चुका है। अब यह जानकारी सामने आई है कि चोरी किए गए अमेरिकी रिसर्च चीन पहुंचाए जा रहे हैं। इसमें चीनी मूल के कई नागरिकों की भी भूमिका पाई गई है। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी एफबीआइ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआइएच) इसकी जांच-पड़ताल कर रहे हैं। एफबीआइ और एनआइएच ने ऐसे वैज्ञानिकों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर जांच शुरू की है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे दूसरे देशों के लिए अमेरिकी संस्थानों से बायोमेडिकल रिसर्च चुरा रहे हैं। अभी तक की जांच में रिसर्च चोरी के जितने मामले उजागर हुए हैं, लगभग उन सभी में अमेरिकी नागरिकों समेत चीनी मूल के कई वैज्ञानिकों की भूमिका पाई गई है।
चीनी मूल के वैज्ञानिकों पर शक
एफबीआइ और एनआइएच की शुरुआती जांच में चीनी मूल के वैज्ञानिकों पर शक की सूई है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हें चीन के लिए रिसर्चों को चोरी करते पाया गया है। एनआइएच अब तक 24 मामले हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज डिपार्टमेंट के महानिदेशक कार्यालय के पास भेज चुका है। इनमें आपराधिक गतिविधि का संदेह जताते हुए एनआइएच ने कहा, ‘बायोमेडिकल रिसर्च के हर अनुशासन का हनन किया जाना प्रतीत हो रहा है।’
इन्हें बनाया जा रहा निशाना
अमेरिका के 71 संस्थान भी बौद्धिक संपदा की चोरी के संदेह में 180 मामलों की जांच कर रहे हैं। इन संस्थानों में अमेरिका के कई प्रतिष्ठित मेडिकल स्कूल भी बताए जा रहे हैं। जांच में वैज्ञानिक विचारों, डिजाइन, डिवाइस, डाटा और सिद्धांतों को निशाना बनाए जाने की बात उजागर हुई है। इनके जरिये नए उपचार या जांच के टूल विकसित किए जा सकते हैं। इनकी कथित चोरी में हालांकि सेना की गोपनीय जानकारियां शामिल नहीं हैं।