चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विचारधारा को लेकर तानाशाही का आलम किस हद तक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश मेें विश्वविद्यालयों के छात्र उनके प्रोफेसरों पर बारीकी से जासूसी निगाह रख रहे हैं। इन स्नातक छात्रों की जासूसी नजर यदि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रोफेसर की कोई भी हरकत पकड़ ले तो समझिए कि प्रोफेसर की नौकरी गई।
सिचुआन विश्वविद्यालय का स्नातक छात्र पेंग वेइ 21 साल का है और रसायन विज्ञान की पढ़ाई कर रहा है। लेकिन वह एक खास मिशन पर है और पढ़ाई के साथ जासूसी भी कर रहा है। वह देश में बढ़ रहे छात्र सूचना अधिकारियों में से एक है जो अपने प्रोफेसरों की विचारधारा पर नजर रखते हैं। ये अधिकारी उन प्रोफेसरों को हटाने में मदद कर रहे हैं जो राष्ट्रपति जिनपिंग व सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति बेईमानी दिखा रहे हों। पेंग ने कहा, ‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि शैक्षणिक वातावरण शुद्ध हो और प्रोफेसर को इसका अनुसरण करना है।’
शी का अभियान विरोधियों को खत्म कर विश्वविद्यालयों को पार्टी का गढ़ बनाना है। शियामन विवि में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके यू शेंगडॉन्ग ने कहा, ‘हर शिक्षक खतरे में हैं।’ शेंगडॉन्ग को एक छात्र की इस सूचना पर कि वे शी के नारे की आलोचना कर रहे हैं, नौकरी से हटा दिया गया।
स्टूडेंट इंफॉर्मरों को ट्रेनिंग
राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जब से चीन का ताउम्र प्रमुख बनाते हुए उनकी विचारधारा को राष्ट्रीय मान्यता दी गई है तब से उनके कार्यकाल में छात्र सूचनाधिकारियों (स्टूडेंट इंफॉर्मर) का इस्तेमाल बढ़ा है। सैकड़ों छात्र इसकी बाकायदा ट्रेनिंग ले रहे हैं। प्रोफेसरों की जासूसी को लेकर विश्वविद्यालय विज्ञापन चिपका रहे हैं। इसके बदले छात्रों को स्कॉलरशिप, हाई ग्रेड, कम्युनिस्ट पार्टी में मौका देने का वादा किया जा रहा है।
शिक्षकों के लिए नैतिक नियमावली
चीन में शिक्षा मंत्रालय ने छात्र जासूसी पर कोई टिप्पणी करने के बजाय हर स्तर के शिक्षकों के लिए नैतिक नियमावली जारी की है। इसमें स्पष्ट है कि वे ऐसा कुछ न कहें जो पार्टी लाइन के खिलाफ हो। चॉन्गकिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी में साहित्य के प्रोफेसर टैंग युन (56) ने कहा कि उन्होंने शी के एक मुहावरे की बुराई की तो एक छात्र की शिकायत पर उनसे सभी प्रमाण पत्र छीनकर उन्हें लाइब्रेरी के काम में लगा दिया गया।