गोरखपुर। शहर के खोराबार क्षेत्र में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) अत्याधुनिक टाउनशिप की सौगात देने जा रहा है। पहले से अधिग्रहीत 170 एकड़ क्षेत्रफल में विकसित होने वाली इस टाउनशिप में हर तरह की सुविधा देने की तैयारी है। जीडीए उपाध्यक्ष की निगरानी में लेआउट तैयार किया जा रहा है।
अभी अवैध स्थानीय लोगों का है कब्जा
टाउनशिप की इस योजना में जीडीए कई वर्षों बाद प्लॉट भी आवंटित करेगा। इसके पहले की दो योजनाओं में अपार्टमेंट बनाए गए थे। करीब दो दशक पहले प्राधिकरण ने खोराबार क्षेत्र में 170 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की थी। अधिग्रहण के बाद यहां कोई योजना लांच नहीं की गई। करीब छह महीने पहले यहां प्लॉटिंग की योजना बनाई गई। मौके का निरीक्षण करने पर पता चला कि कई लोग वहां अवैध रूप से काबिज हैं। जीडीए की ओर से उन्हें कब्जा हटाने की नोटिस दी गई है। कुछ दिन पहले जीडीए ने वहां टाउनशिप के लिए लेआउट बनाना शुरू किया है।
जीडीए अधिकारियों की मानें तो खोराबार में प्रस्तावित यह टाउनशिप शहर में प्राइम लोकेशन की आखिरी टाउनशिप होगी। इसके बाद इतना बड़ा क्षेत्रफल शहर के नजदीक मिलना आसान नहीं होगा। इसलिए अधिकारी पूरी तैयारी के साथ इस योजना को लांच करने जा रहे हैं। लेआउट बनाते समय बड़े शहरों में बसी कॉलोनियों को भी ध्यान में रखा जा रहा है। प्राधिकरण का मानना है कि यहां स्कूल, मॉल जैसी हर तरह की सुविधा दी जाएगी, भले ही प्लॉट की कीमत कुछ अधिक हो। यह लोकेशन हाइवे पर स्थित होने के कारण काफी अहम होगी।
जीडीए में निर्माण की गुणवत्ता परखेगी राइट्स
जीडीए (गोरखपुर विकास प्राधिकरण) की 20 लाख से अधिक लागत वाली योजनाओं में निर्माण की गुणवत्ता अब रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) नामक संस्था परखेगी। प्राधिकरण ने राइट्स को पत्र लिखा है। जल्द ही अनुबंध हो जाएगा।
हाल के दिनों में जीडीए की आवासीय योजना लोहिया एंक्लेव निर्माण कार्यों में खराब गुणवत्ता को लेकर विवादों में रही है। क्षेत्रफल में कमी से लेकर प्लास्टर, टाइल्स, दरवाजे, खिड़की आदि में आवंटियों ने खराब गुणवत्ता की शिकायत की थी। लंबी जांच के बाद कुछ अभियंताओं व कार्यदायी फर्मों के विरुद्ध कार्रवाई भी हो चुकी है। इसके चलते जीडीए की काफी किरकिरी हुई थी। भावी योजनाओं में ऐसी स्थिति से बचने के लिए प्राधिकरण ने यह फैसला किया है। फिलहाल गीडा में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच भी राइट्स के जिम्मे है।
यह संस्था 20 से 50 लाख तक के निर्माण कार्यों में प्रयोग हो रहे मैटेरियल, उसके अनुपात आदि का सैंपल लेकर परीक्षण करेगी। गुुणवत्ता ठीक मिलने पर प्रमाण पत्र भी देगी। 50 लाख रुपये से अधिक के कार्यों में मैटेरियल के परीक्षण के साथ ही दरवाजे, खिड़की, टाइल्स आदि का मापन भी किया जाएगा। बाद में शिकायत मिलने पर उसकी पूरी जिम्मेदारी राइट्स की होगी।
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर सूबे की सरकार सजग है, लेकिन गीडा में कुछ और ही देखने को मिल रहा है। कामन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए 15 एकड़ जमीन अधिग्रहित करके किसानों को मुआवजा भी दिया जा चुका है। बावजूद इसके इस सरकारी जमीन पर एक व्यक्ति ने जिम्मेदारों की मिली भगत से फसल उगा रखा है। ऐसे में लोग व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी को साफ करने के लिए कामन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव है। इसके लिए पिपरौली ब्लाक के अडि़लापार में लगभग एक दर्जन किसानों की 15 एकड़ जमीन गीडा प्रशासन ने अधिग्रहित किया है। साथ ही उसे तार लगाकर घेराबंदी भी कर दी गई है, लेकिन एक व्यक्ति ने फसल की बोआई कर रखी है। सरकारी जमीन में फसल देखकर अपनी भूमि देने वाले किसान गीडा के जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। मुख्य कार्यपालक अधिकारी गीडा संजीव रंजन ने कहा कि अडि़लापार की जमीन गीडा प्रशासन के कब्जे में है और यदि कोई फसल की बोआई किया है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।