लखनऊ। सपा शासन के दौरान जल निगम महकमे में करीब 1300 पदों पर हुई भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अभियुक्त आजम खान को व्यक्तिगत रूप से 15 नवंबर को पेश करने का आदेश दिया है। सीबीआई के विशेष जज मनोज पांडेय ने अभियुक्त आजम खान को आरोप पत्र की नकलें प्रदान करने के लिए सीतापुर जेल से तलब किया है। इस भर्ती घोटाले के दौरान आजम खान जल निगम के अध्यक्ष हुआ करते थे। 10 सितंबर, 2021 को इस मामले में आजम खान की जमानत अर्जी खारिज हो गई थी।
एसआईटी के वरिष्ठ लोक अभियोजक ओम प्रकाश राय के मुताबिक 19 जुलाई, 2021 को इस मामले में सपा सांसद आजम खान को जरिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग न्यायिक हिरासत में लिया गया था। 25 अप्रैल, 2018 को इस मामले की एफआईआर लखनऊ की एसआईटी थाने में निरीक्षक अटल बिहारी ने दर्ज कराई थी। जिसमें आजम खान के साथ ही तत्कालीन ओएसडी सैय्यद आफाक अहमद, नगर विकास उप्र शासन के तत्कालीन सचिव श्रीप्रकाश सिंह, उप्र जलनिगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक प्रेम प्रकाश आसूदानी व तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल कुमार खरे तथा भर्ती प्रक्रिया मे शामिल अन्य को नामजद किया गया था।
विवेचना के दौरान आजम खान समेत गिरीश चंद्र श्रीवास्तव, नीरज मलिक, विश्वजीत सिंह, अजय कुमार यादव, संतोष कुमार रस्तोगी, रोमन फर्नाडीज व कुलदीप सिंह नेगी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। बीते 15 जुलाई को विशेष अदालत ने आजम खान व गिरीश चंद्र श्रीवास्तव के विरुद्ध आईपीसी की धारा 201, 204, 420, 467, 468, 471, 120बी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत संज्ञान लिया था। जबकि शेष अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 201, 204, 420, 467, 471, 120 बी के साथ ही तकनीकी सूचना अधिनियम की धारा 66 के तहत संज्ञान लेते हुए इनके विरुद्ध समन जारी करने का आदेश दिया था। अन्य अभियुक्तों के खिलाफ विवेचना अभी जारी है।
अदालत में दाखिल आरोप पत्र के मुताबिक अभियुक्तों पर मनचाहे अभ्यर्थियों का चयन कराने के लिए एक साजिश के तहत मनचाही संस्था मेसर्स एपटेक लिमिटेड का चयन कराने का आरोप है। साथ सभी पदों पर भर्ती में एपटेक व उप्र जल निगम के मघ्य हुए अनंबध का उल्लंघन किया गया। परीक्षा सम्पन्न होने के बाद उत्तर कुंजी ऑनलाइन प्रदर्शित नहीं होने के बावजूद भर्ती प्रक्रिया जारी रखी गई।
यह भी आरोप है कि प्रबंधकीय अधिकारों का हनन करते हुए अनुचति लाभ के लिए नियम विरुद्ध मेसर्स एपटेक से मिलीभगत कर परीक्षा के प्राइमरी डाटा को क्लाउड सर्वर से डिलीट कराकर मूल्यवान साक्ष्य को नष्ट कर दिया गया। चयन प्रक्रिया के दौरान परीक्षा परिणाम के मूल सीबीटी अंक पढ़वाकर अपात्र अभ्यर्थियों का चयन कराया गया। परिणा स्वरूप पात्र अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए।