डेस्क। आज 1 मई, शुक्रवार को मां बगलामुखी जयंती है। इस दिन विधि विधान से मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। मां बगलामुखी देवी दुर्गा का अवतार हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां बगलामुखी के मंत्रों का जप करने से मां का आशीर्वाद मिलता। मां बगलामुखी की कृपा से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
इस मंत्र को मां का विशेष मंत्र माना जाता है। मां के इस मंत्र का जप करने से मां प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हर:
इस मंत्र को मां बगलामुखी का भयनाशक मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र के जप से भय दूर हो जाता है। जिन व्यक्तियों को किसी भी चीज से डर लगता है, उन्हें नियमित मां बगलामुखी के इस भयनाशक मंत्र का जप करना चाहिए।
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
इस मंत्र को मां बगलामुखी का शत्रु नाशक मंत्र कहा जाता है। जिन व्यक्तियों को अपने शत्रुओं से भय रहता है उन्हें इस मंत्र का जप करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस मंत्र का नियमित जप करते हैं, उनका शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं। इस मंत्र के नियमित जप से मां बगलामुखी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
बगलामुखी देवी की आरती
जय जयति सुखदा, सिद्धिदा, सर्वार्थ – साधक शंकरी।
स्वाहा, स्वधा, सिद्धा, शुभा, दुर्गानमो सर्वेश्वरी ।।
जय सृष्टि-स्थिति-कारिणि-संहारिणि साध्या सुखी।
शरणागतो-अहं त्राहि माम् , मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय प्रकृति-पुरूषात्मक-जगत-कारण-करणि आनन्दिनी।
विद्या-अविद्या, सादि-कादि, अनादि ब्रह्म-स्वरूपिणी।।
ऐश्वर्य-आत्मा-भाव-अष्टम, अंग परमात्मा सखी।
शरणागतो-अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय पंच-प्राण-प्रदा-मुदा, अज्ञान-ब्रह्म-प्रकाशिका।
संज्ञान-धृति-अज्ञान-मति-विज्ञान-शक्तिविधायिका ।।
जय सप्त-व्याहृति-रूप, ब्रह्म विभू ति शशी-मुखी ।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
आपत्ति-अम्बुधि अगम अम्ब! अनाथ आश्रयहीन मैं।
पतवार श्वास-प्रश्वास क्षीण, सुषुप्त तन-मन दीन मैं।।
षड्-रिपु-तरंगित पंच-विष-नद, पंच-भय-भीता दुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय परमज्योतिर्मय शुभम् , ज्योति परा अपरा परा।
नैका, एका, अनजा, अजा, मन-वाक्-बुद्धि-अगोचरा।।
पाशांकुशा, पीतासना, पीताम्बरा, पंकजमुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
भव-ताप-रति-गति-मति-कुमति, कर्त्तव्य कानन अति घना।
अज्ञान-दावानल प्रबल संकट विकल मन अनमना।।
दुर्भाग्य-घन-हरि, पीत-पट-विदयुत झरो करूणा अमी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
हिय-पाप पीत-पयोधि में, प्रकटो जननि पीताम्बरा!।
तन-मन सकल व्याकुल विकल, त्रय-ताप-वायु भयंकरा।।
अन्तःकरण दश इन्द्रियां, मम देह देवि! चतुर्दशी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
दारिद्रय-दग्ध-क्रिया, कुटिल-श्रद्धा, प्रज्वलित वासना। वासना।
अभिमान-ग्रन्थित-भक्तिहार, विकारमय मम साधना।।
अज्ञान-ध्यान, विचार-चंचल, वृत्ति वैभव-उन्मुखी।
शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम्बगलामुखी।।