बीमार पड़ने या शरीर में कहीं चोट लगने पर अक्सर बुजुर्ग सोने से पहले वाले बहुत से नुस्खे बताते हैं। वो कहते हैं कि रात में शरीर आराम की मुद्रा में होता है लिहाजा बीमारी या चोट ठीक होने में आसानी रहती है। लेकिन नई रिसर्च कुछ और कहती है। नई रिसर्च साबित करती है कि हमारे दिमाग ने पूरे शरीर की कोशिकाओं के काम का टाइम-टेबल बनाया हुआ है। दिन के 24 घंटों में ये कोशिकाएं उसी टाइम-टेबल के मुताबिक काम करती हैं, जिसे हम ‘सर्केडियन रिदम’ या ‘शरीर की घड़ी’ (बॉडी क्लॉक) कहते हैं। इस शारीरिक घड़ी के मुताबिक दिन और रात में शरीर के काम करने का तरीका अलग-अलग होता है।
कैंसर से लेकर दिल की बीमारी तक, गठिया से लेकर सभी तरह की एलर्जी तक में मरीज को उस समय दवा दी जाती है, जिस वक्त वो शरीर में बेहतर काम करती हैं। इन दवाओं के साइड इफेक्ट कम से कम होते हैं। इससे मरीज को जल्द ठीक होने में मदद मिलती है। कनाडा में कार्डियो-वैस्कुलर सेंटर के डायरेक्टर टॉमी मार्टिनो का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीमारियों से लड़ने और उनका बोझ कम करने के लिए आज स्टेम सेल, जीन थेरेपी और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकें मौजूद हैं। अगर सही सर्केडियन रिदम का अंदाजा हो जाए, तो इन के हिसाब से दी जाने वाली दवाओं से सेहत हमेशा के लिए ठीक रखी जा सकती हैशरीर के अंगों का ‘टाइम-टेबल’
दिन के 24 घंटों में हमारा शरीर अलग-अलग समय पर अलग-अलग तरह से काम करता है। इस बात को ग्रीस के महान चिकित्सक हिप्पोक्रैट ने बहुत पहले ही समझ लिया था। चीन के पारंपरिक चिकित्सक विज्ञान में भी इसका ज़िक्र किया गया है कि सुबह तीन से पांच बजे के दरमियान फेफड़े, सुबह 11 से दोपहर 1 बजे के दरमियान दिल और शाम 5 से 7 बजे के दरमियान गुर्दे बेहतर काम करते हैं। शायद इसी को बुनियाद बनाते हुए आज इस दिशा में नई रिसर्च की जा रही हैं। सर्केडियन बायोलॉजिस्ट जॉन ओ-नील की रिसर्च बताते हैं कि फाइब्रोब्लास्ट नाम की कोशिकाएं चोट की वजह से खराब होने वाले ऊतकों को दिन के समय जल्दी ठीक करती हैं। फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाएं त्वचा की कोशिकाओं में पहुंच कर चोट की जगह तक पहुंचती हैं, और उसे ठीक करने में मदद करती हैं। प्रोफेसर ओ-नील ने इंटरनेशनल बर्न इंजरी डेटा बेस का आकलन करने के बाद रिसर्च में बताया कि जो लोग रात के समय में जल जाते हैं, उनके जख्म दिन में जलने वाले मरीज़ों के मुकाबले ठीक होने में 11 दिन ज्यादा लेते हैं।