नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि उनकी सरकार देशभक्त सरकार है, वह किसी को भी नेपाल की एक इंच जमीन पर कब्जा करने की अनुमति नहीं देगी। ओली ने कहा, वह भारत से कहेंगे कि वह कालापानी से अपने सुरक्षा बल हटाए। हालांकि, भारत ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ऐसे में सवाल उठाता है कि इस फसाद की जड़ में क्या है। क्या है कालापानी। इस कालापानी पर क्यों है चीन की नजर। इसके साथ यह जानेंगे कि सुगौली संधि क्या है। क्या है इसके प्रावधान।
31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नए केंद्रशासित प्रदेश के रूप में गठन के बाद भारत सरकार ने देश का जो नया नक्शा जारी किया था, उसी के बाद विवाद की स्थिति बनी है। नए नक्शे में कालापानी को भारतीय नक्शे में शामिल किया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर को नवगठित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का हिस्सा दिखाया गया है, तो गिलगित-बाल्टिस्तान को लद्दाख का हिस्सा दर्शाया गया है।
नेपाल सरकार ने छह नवंबर को कालापानी को भारतीय नक्शे में शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई थी। प्रधानमंत्री ओली ने कहा है कि नेपाल सरकार किसी को भी अपनी जमीन पर कब्जा नहीं करने देगी। इसलिए भारत सरकार को अपने सुरक्षा बल कालापानी से बुला लेने चाहिए। भारत सरकार ने कहा है कि उसका नक्शा सही और पूर्व स्थितियों पर आधारित है। उसने किसी पड़ोसी की जमीन पर कब्जा नहीं किया है।
भारत-नेपाल-चीन का त्रिकोणीय इलाका
कालापानी का विवाद भारत-नेपाल के बीच है। कालापीनी अपने भौगोलिक कारणों से यह पूरा भू-भाग सामारिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए बेहद उपयोगी है। चीन के नजदीक होने के कारण यह त्रिकोणीय इलाका बहुत संवेदनशील है।
भौगोलिक कारण से अहम
कालापानी काली नदी का उद्गम स्थल है। कालापानी उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ जिले में 35 वर्ग किलोमीटर का भू-भाग है। उत्तराखंड के धारचूला इलाके से छूने वाली नेपाली सीमा से कालापानी इलाका से सटा हुआ है।भारतीय राज्य उत्तराखंड
लगती है और 344 किलोमीटर चीन से मिलती है।
क्या है फसाद की जड़
भारत ने इस नदी को अपने नक्शे में शामिल किया है। 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी। तब काली नदी को पश्चिमी सीमा पर ईस्ट इंडिया और नेपाल के बीच रेखांकित किया गया था। 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ तो भारतीय सेना ने कालापानी पर चौकी बनाई। नेपाल का दावा है कि 1961 में यानी भारत-चीन युद्ध से पहले नेपाल ने यहां जनगणना करवाई थी और तब भारत ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। नेपाल का कहना है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है।