कोरोना महामारी के कारण देश में छाई आर्थिक मंदी के बीच दशहरे के दौरान हुई बिक्री ने भारतीय ज्वैलर्स को स्टॉक रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। भारतीयों ने हाल ही में दशहरा उत्सव मनाया, और अब नवंबर में दिवाली और धनतेरस का इंतजार है। मुंबई के एक डीलर ने कहा कि दशहरा बिक्री ने ज्वैलर्स को विश्वास दिलाया। वे अब दिवाली के लिए खरीदारी कर रहे हैं।
ऊंची कीमतों के साथ एडजेस्ट कर रहे लोग
पिछले हफ्ते कीमतों पर 5 डॉलर प्रीमियम प्रति औंस लिया गया जो पहले एक डॉलर का प्रीमियम लिया जाता था। जिसमें 12.5% इंपोर्ट और 3% सेल्स लेवी होती थी। लोकल मार्केट में गोल्ड फ्यूचर 50,500 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। मुंबई के एक ज्वैलर के अनुसार अब लोग सोने की ऊंची कीमतों के साथ एडजेस्ट कर रहे हैं।
चीन कर रहा छूट की पेशकश
ब्रायन लैन, प्रबंध निदेशक डीलर गोल्ड सिल्वर सेंट्रल के अनुसार विदेशों (खासकर दुबई) में भारत और चीन से सबसे ज्यादा ज्वैलरी की मांग आती है। हालांकि इस समय यात्रा प्रतिबंधों के कारण दीवाली की मांग प्रभावित होने की संभावना है।
चीन के व्यापारियों ने पिछले सप्ताह $ 30- $ 32 प्रति औंस बनाम $ 30- $ 33.5 की छूट की पेशकश की। विश्व गोल्ड काउंसिल के एक अधिकारी ने कहा कि चीनी छूट चौथी तिमाही में कम होगी क्योंकि मांग धीरे-धीरे सुधरेगी। हांगकांग में, सोना 0.50 डॉलर की छूट और $ 1.50 के प्रीमियम के बीच बेचा गया था। एलपीएम ग्रुप लिमिटेड के प्रोडक्ट मैनेजर कीनान ब्रैकेनरिज ने कहा कि पिछले एक महीने में कम आपूर्ति में व्यवधान और कमजोर मांग के कारण आपूर्ति में वृद्धि हुई है
वैश्विक स्तर पर 19% घटी सोने की मांग
वैश्विक स्तर पर सोने की मांग जुलाई-सितंबर की तिमाही में 19% घटकर 892.3 टन रही। यह सोने की वैश्विक मांग का 2009 की तीसरी तिमाही से सबसे निचला स्तर है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के कारण सोने की मांग में भारी गिरावट आई है। जुलाई-सितंबर, 2019 में सोने की वैश्विक मांग 1,100.2 टन थी।
भारत में 30% घटी मांग
सितंबर तिमाही में भारत में सोने की मांग साल भर पहले की तुलना में 30% कम होकर 86.6 टन पर पहुंच गई। डब्ल्यूजीसी की तीसरी तिमाही सोना मांग ट्रेंड रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल की सितंबर तिमाही में सोने की कुल मांग 123.9 टन रही थी। मूल्य के आधार पर, इस दौरान सोने की मांग पिछले साल के 41,300 करोड़ रुपए की तुलना में 4% कम होकर 39,510 करोड़ रुपए पर आ गई।