वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक उच्च तकनीक वाले ऐसे उपकरण को विकसित किया है जो पृथ्वी के समुद्र तल में होने वाली छोटी से छोटी गतिविधि और परिवर्तन की पहचान कर सकता है। ये गतिविधियां अधिकतर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी आदि घातक प्राकृतिक आपदाओं का संकेत होती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस डिवाइस का परीक्षण भी कर लिया गया है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा (USF) के शोधकर्ताओं के अनुसार पिछले साल मैक्सिको की खाड़ी में ‘एगमांट की’ पर एक उथले पानी का उत्प्लव (बॉय) स्थापित किया गया था। इसके माध्यम से समुद्र तल की तीन आयामी गति का डाटा प्राप्त किया गया था।
जीपीएस सिस्टम से है लैस
शोधकर्ताओं ने पाया कि यह सिस्टम पृथ्वी की ऊपरी परत के तनाव और उसमें होने वाले छोटे-मोटे बदलाव का पता लगाने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि समुद्र तल की गणित पता करने वाला यह सिस्टम एक उत्प्लव ही है जो उच्च क्षमता वाले जीपीएस सिस्टम से लैस है। इस उत्प्लव के दिशा-निर्देश को एक डिजिटल कंपास के जरिये मापा जाता है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के घूर्णन और उपरी परत में हो रही गतिविधि का पता चलता है।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में समुद्रतल की निगरानी के लिए कई तकनीकें हैं, लेकिन समस्या यह है कि सभी तकनीकें आमतौर पर गहरे समुद्र में सबसे अच्छा काम करती हैं। जहां पर कम शोर होता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उथले तटीय क्षेत्र जहां गहराई कुछ 100 मीटर से भी कम होती है, सबसे कठिन जगह होती है। साथ ही यह भी बताया कि यह कई तरह के विनाशकारी भूकंपों के लिए भी महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं ने बताया कि उथले समुद्र से भूकंप और सुनामी के संकेत को ज्यादा अच्छे से समझा जा सकता है।
बहुत ही सटीक तरीके से किया जा सकता है पुर्वानुमान
बताया कि नये उत्प्लव को समुद्र तल से कंक्रीट और गिट्टी के माध्यम से जोड़ा गया है। यह समुद्र की सतह पर उतराता रहता है। साथ ही यह कई तूफानों का सामना करने में भी सक्षम है।
यूएसएफ स्कूल ऑफ जियोसाइंस के प्रोफेसर टिम डिक्सन ने कहा कि नया सिस्टम एक से दो सेंटीमीटर के दायरे में होने वाली छोटी सी हलचल का भी पता लगाने में सक्षम है।