पटना। भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह रविवार को बिहार में वर्चुअल रैली की। 35 मिनट के भाषण उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की थी। इंदिरा अब नहीं हैं, लेकिन गरीबी वहीं की वहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कहते हैं वो करते हैं। यहां इस साल के आखिर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। अभी राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू और भाजपा गठबंधन की सरकार है। शाह ने लोगों ने ऑनलाइन संबोधित किया था। भाजपा ने दावा किया था कि 56 लाख लोगों को शाह की रैली का लिंक भेजा जाएगा।
शाह ने कहा कि करोड़ों कोरोनावॉरियर्स को समर्पण और सेवा के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं। बिहार की जनता का भी धन्यवाद देता हू्ं, जिसने एनडीए को दूसरी बार जनादेश दिया। बिहार से ही दुनिया को पहली बार लोकतंत्र का अनुभव हुआ। यहां मगध साम्राज्य की नींव पड़ी। बुद्ध, महावीर, चंद्रगुप्त और चाणक्य की इस भूमि ने हमेशा ही नेतृत्व किया है। भारत के लोकतांत्रिक मूल्य जब भी हाशिये पर गए, तब यहां की धरती से ही बिगुल बजा। जय प्रकाश नारायण, जगजीवन राम के योगदान को कैसे भूल सकते हैं। आपातकाल में जब इंदिरा गांधी ने जनता का गला घोंटने का काम किया, तब जेपी के नेतृत्व में बिहार के लोगों ने ही आवाज उठाई। छठी शताब्दी ईसा पूर्व बिहार के वैशाली में लिच्छवी गणतंत्र था। यह इकलौता गणतंत्र था, जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था थी।
गृह मंत्री ने कहा बिहार की जनता ने वंशवाद और जातिवाद के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी। लोग इसे बिहार की चुनावी रैली कह रहे हैं। इस रैली का चुनावों से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा जनसंवाद, जनसंपर्क और जनतंत्र में विश्वास रखती है। कोरोना काल में कैसे संपर्क करेंगे। हम अपना संस्कार गंवा दें। मैं जेपी नड्डा जी को बधाई देता हूं कि 75 वर्चुअल रैलियों के जरिए उन्होंने देशभर की जनता से संपर्क करने का जरिया दिया है। ये राजनीतिक दल का गुणगान गाने के लिए, चुनाव के लिए नहीं है। देश की जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उनके हौसले को बढ़ाने के लिए है।