सीएम के गृह जनपद के श्रमिकों से ही वसूले गए 745 रूपये ट्रेन किराये
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना संकट के दौर में स्थानीय बेरोजगारों और बाहर से आने वाले श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के भाजपा के दावे धोखे साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद के श्रमिकों ने ही बताया कि भिवंडी से गोरखपुर आने के लिए उनसे 745 रूपये ट्रेन किराया वसूला गया। भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को बाहर से मुफ्त वापस लाने का दावा करते नहीं थकती पर सच तो सच है। श्रमिकों के साथ भी यह धोखा शर्मनाक है।
अखिलेश ने बताया सेंटर फार मानिटरिंग इण्डियन एकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 3 मई 2020 समाप्त सप्ताह तक बेरोजगारी दर बढ़कर 27.1 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि मार्च में यह 8.74 प्रतिशत थी। देश में 24.95 फीसदी मजदूरों के पास कोई काम नहीं है। फिर रोजगार किसे और कहां मिल रहा है? क्या भाजपा ने भ्रमित करने का ठेका ले रखा है?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अन्य जनपदों के श्रमिक भी अपनी टिकटें दिखा रहे हैं। लोग कह रहे है कि अगर ये रेल टिकट नहीं है तो क्या बंधक श्रमिकों को छोड़ने पर ली गई फिरौती की सरकारी रसीद है? देशभर के मजदूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि भाजपा सरकार में मजदूर बेबस और मजबूर जिनके पास एक जोड़ी कपड़ा खाने का ठिकाना नहीं और बेहद दूर है जाना। जो फ्री ट्रेन सेवा के नाम पर लूटे गए। उन असहाय गरीबों को बेदर्दी से सड़क पर सैनिटाइज करना संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है। किसी की आंख जली तो किसी का शरीर। गीले कपड़ों के साथ सफर करने को मजबूर! डरी हुई सरकार जनता को सताने में अपनी बहादुरी समझती है।
उन्होंने कहा कि संकट के समय मजदूर भावनात्मक रूप से अपने घर और घरवालों से दूरी महसूस कर रहे हैं। उन्हें अपने गांव-घर में ही सुरक्षा की उम्मीद है वे जहां निराश्रित और बेरोजगार होकर पड़े हैं, वहां से जल्दी से जल्दी निकलना चाहते हैं। असंवेदनशील सरकार इनकी पुकार कब सुनेगी? भाजपा का ‘‘झांसा कारोबा’’ को ठप्प करने की ताकत लोकतंत्र में जनता के पास सुरक्षित है, बस समय का इंतजार है।