आगरा । सात कोस में विराजमान पर्वतराज अद्भुत तो उनके भक्त अनूठे हैं। भक्त और भगवान का यह रिश्ता भाव पर टिका होता है। ब्रजमंडल में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है। मौसम बदलते ही भक्त भगवान के खानपान और वस्त्रों में परिवर्तन कर देते हैं।
भगवान को भाव का भूखा बताया जाता है, इसीलिए प्रभु की सेवा उनके भक्त निराले ढंग से करते रहते हैं। सर्दी के कदमों की आहट देखकर गिरिराज भक्तों को प्रभु के स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है। ठंड के कारण कहीं गिरिराज बीमार न पड़ जाएं, इसके लिए शयन के समय मखमली रजाई तैयार कराई जा रहा है। सुबह लगने वाली ठंड से बचाव को प्रभु की सेवा में देसी नुस्खा सुहाग-सोंठ का सेवन कराया जा रहा है। देसी मसालों से तैयार सुहाग-सोंठ में गरम मसालों का प्रयोग किया जाता है। मंगला आरती के समय प्रभु को सुहाग-सोंठ का भोग लगाया जाता है। मंगला के बाद मेवा युक्त गरम खिचड़ी बाल भोग में शामिल की गई है। प्रभु के प्रसाद में आने वाले पदार्थो की सूची बदल दी गई है।
जतीपुरा मुखारबिंद सेवायत राजू पुरोहित के अनुसार पूर्णिमा से गिरिराज प्रभु की सेवा में गरमी प्रदान करने वाली वस्तुएं धराई जाएंगी। गिरिराज प्रभु को सर्दी से बचाव के लिए बनाई जाने वाली सुहाग- सोंठ में कई सामग्री मिलाकर बनाई जाती है। इसमें मुख्यत: केशर, कस्तूरी, जावित्री, काली मिर्च, लौंग, सोंठ, जायफल, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, खोवा, चीनी आदि का प्रयोग किया जाता है।