दीपावली के बाद सोमवार को मथुरा के मंदिरों व घरों में गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव की धूम है। गोवर्धन की गिरिराज तलहटी में सुबह से ही आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। गिरिराज परिक्रमा मार्ग पर हरिनाम संकीर्तन, राधे-राधे के जयकारे गूंज रहे हैं। मथुरा की रज-रज में कृष्ण भक्ति है। यहां जो भी आता है कृष्ण भक्ति में लीन हो जाता है। यही श्रद्धा भाव गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव में देखने को मिल रहा है, जिसमें देशभर से ही नहीं, विदेशों से भी बड़ी संख्या में भक्त अन्नकूट महोत्सव में शामिल होने आए हैं।
दिवाली की पूर्व संध्या पर ही आस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस, कनाडा आदि देशो से विदेशी भक्त गोवर्धन पहुंच गए थे। सोमवार सुबह हजारों भक्तों ने राधाकुंड और श्यामकुंड में स्नान के बाद गिरिराज मंदिर में दुग्धाभिषेक किया। इसके बाद ढप, ढोल, मृदंग-मजीरे की धुन पर हरिनाम संकीर्तन के साथ गिरिराज परिक्रमा शुरू की।अन्नकूट महोत्सव पर गिरिराज दानघाटी मंदिर, जतीपुरा के मुकुट मुखारविंद मंदिर, हरिगोकुल मंदिर, राधा-कृष्ण संगम कुंड स्थित रघुनाथ दास गोस्वामी जी महाराज की गद्दी, वैष्णव सेवाश्रम आदि में कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।मथुरा में वल्लभ कुल संप्रदाय के द्वारकाधीश मंदिर में भी गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर द्वारकाधीश के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पूजा के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया।
दीपावली पर्व पर गिरिराज जी की नगरी पर परंपरागत दीपदान महोत्सव से झिलमिला उठी। आस्था और श्रद्धा में डूबे भक्तों ने मानसी गंगा, राधाकुंड एवं मंदिरों में दीपदान किया। दीयों की रोशनी से गिरिराज तलहटी जगमगा उठी। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गौ माता और गोवर्धन पर्वत की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की लीला से जुड़ी हुई है।