नई दिल्ली। Budget 2022 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है। जानकारों की मानें तो सरकार आगामी बजट में वेतनभोगी करदाताओं और पेंशनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 30-35% बढ़ाने पर विचार कर सकती है, जबकि आयकर स्लैब न बदले जाने की संभावना है। वर्तमान में, इन करदाताओं को 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड कटौती का फायदा मिलता है।
जानकारों का तर्क है कि कोविड -19 महामारी से बढ़ते खर्च के कारण सरकार वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को यह राहत दे सकती है। टैक्स एक्सपर्ट और CA मनीष कुमार गुप्ता ने कहा कि स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार टैक्स कितना बढ़ाती है।
सरकार को मिले सुझाव
मनीष कुमार गुप्ता के मुताबिक पर्सनल टैक्सेशन पर कई सुझाव सरकार को मिल रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाने को लेकर है। विशेष रूप से कोविड -19 के कारण चिकित्सा खर्चों की बढ़ी हुई लागत को देखते हुए सरकार ऐसा कर सकती है। बता दें कि नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले करदाताओं के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने 2018 में 40,000 रुपये की स्टैंडर्ड कटौती की शुरुआत की थी और बाद में 2019 में अंतरिम बजट में पीयूष गोयल ने इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया। मनीष कुमार गुप्ता के मुताबिक इसे बढ़ाने की वजह है- पहली, महंगाई से मेल खाने के लिए और दूसरी मौजूदा महामारी में Work from Home के कारण इंटरनेट और बिजली के बढ़े हुए खर्च।
80C की सीमा बढ़ेगी
टैक्स कंसल्टेंट बलवंत जैन के मुताबिक स्टैंडर्ड डिडक्शन के बजाय वित्त मंत्री 80C की सीमा बढ़ा सकती हैं। साथ ही बेसिक एक्जेमशन लिमिट और सेक्शन 87A के अंतर्गत रीबेट की लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है।