कोलकाता। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर बंगाल में विरोध-प्रदर्शन लगातार जारी है। खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसका विरोध कर रही हैं, उन्होंने यहां तक कहा है कि चाहे तो मेरी सरकार को बर्खास्त कर दें लेकिन मेरे जीते जी इस कानून को बंगाल में लागू नहीं किया जा सकता। चूंकि संसद के दोनों सदनों से पास होकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन चुका है ऐसे में एक मात्र केंद्र सरकार ही कानून को रद कर सकती है।
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राज्य सरकार इस कानून को यहां लागू करने से मना करती है तो राज्य में राज्यपाल के जरिए धारा 356 यानि राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
संविधान विशेषज्ञ व लोकसभा के पूर्व सचिव सुभाष कश्यप ने बताया कि संविधान की धारा 11 में स्पष्ट कहा गया है कि नागरिकता व इससे संबंधित सभी मामले संसद के अधीन पड़ते हैं, कानून केवल संसद ही बनाता है, ऐसे में राज्यों के पास कोई खास अधिकार नहीं होते। वहीं, संविधान के जानकार व दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा ने कहा कि संसद से कानून पास होने के बाद इसे लागू करने की जिम्मेवारी राज्य सरकारों की होती है लेकिन यदि राज्य इसे लागू करने को राजी न हो तो फिर यह संवैधानिक संकट का कारण बन जाता है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई राज्य कानून को लागू नहीं करती है और राज्य में परिस्थितियां सामान्य नहीं रहती है तो फिर केंद्र राज्यपाल के जरिए संबंधित राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य को कानून लागू करने में कोई आपत्ति है तो उसके समक्ष दो विकल्प शेष बचते हैं।
हावड़ा में लगातार तीसरे दिन इंटरनेट सेवा बंद
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन पर लगाम लगाने की सरकारी कोशिश के तहत जिले में बीते दो दिनों से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। हालांकि अब जिला प्रशासनिक कार्यालय से जारी अधिसूचना के अनुसार तीसरे दिन भी हावड़ा में इंटरनेट सेवा ठप रहेगी। हालांकि बंद के इस दायरे से पिन कोड नंबर 711101, 711102 और 711103 तक के इलाकों को बाहर रखा गया है। इन इलाकों में इंटरनेट सेवाएं सामान्य रूप से बहाल रहेंगी।
उल्लेखनीय है कि बीते दो दिनों से जारी इंटरनेट सेवाओं पर रोक को एक बार फिर से अगले 24 घंटे के लिए बढ़ा दिया गया है। बुधवार शाम को पांच बजे तक हावड़ा में इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी। इसके दायरे में केबल आधारित इंटरनेट सेवाएं भी शामिल होंगी। जिला प्रशासन की ओर से टीवी समाचार चैनलों को भी इस बाबत उपद्रव की खबर दिखाने के दौरान संयम बरतने की सलाह दी गई है।