छत्तीसगढ़। कोरोना वायरस महामारी के वक्त आदिवासियों की तरफ से पत्ते का मास्क बनाकर उसे पहनने की तस्वीर सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर वायरल होने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने बस्तर में एक स्थानीय पत्रकार के खिलाफ केस दर्ज किया है।
खबर के मुताबिक, इन आदिवासियों के पत्तों के मास्क पहनने की तस्वीर खींचने और उसका वीडियो बनाने के चलते पत्रकार के खिलाफ कांकेड़ जिले के अमबेडा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 188 के तहत केस दर्ज किया गया है। हालांकि, छत्तीसगढ़ पुलिस ने वेबसाइट में जो एफआईआर की कॉपी अपलोड की है उसमें पत्रकार का नाम शामिल नहीं किया गया है।
खबरों के मुताबिक, कुछ दिन पहले अंतागढ़ गांव में स्थानीय समुदाय की एक बैठक के दौरान कुछ आदिवासी समुदाय के लोग चेहरे पर पत्ते के बने मास्क पहनकर आए थे। पत्रकार ने उनकी तस्वीरें खींची और और उन लोगों से बात की। आदिवासियों ने पत्रकार को बताया कि उन्होंने बीमारी फैलने के बारे में सुना है और इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वे इसे पहनेंगे क्योंकि माओवादी प्रभावित दूरवर्ती क्षेत्र में सुरक्षा के कोई और उपाय नहीं हैं।
एफआईआर दर्ज होने के बाद स्थानीय पत्रकार जीवनाथ हलदर जो कि एक टेलीविजन चैनल में काम करते हैं, उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि तीन अन्य लोगों के साथ अमाबेडा गए थे ताकि यह पता लगाया जा सके कि जब हाट-बाजार बंद है, तो ऐसे में लॉकडाउन के वक्त आदिवासी कैसे जिंदगी बिता रहे हैं। जैसे ही वहां पर पहुंचे, स्थानीय लोगों ने ड्रम बजाया जो वहां का स्थानीय रीति रिवाज है। बातचीत में गांववालों ने बताया कि उन लोगों ने बीमारी फैलने के बारे में सुना है, इसलिए पत्ते के बने मास्क लगा रहे हैं और हाथ साफ करने के लिए राख का इस्तेमाल कर रहे हैं। गांववालों ने बताया कि जब से लॉकडाउन का ऐलान हुआ है पत्रकारों के अलावा प्रशासन की तरफ से यहां पर कोई नहीं आया।
पत्रकारों पर एफआईआर को लेकर जब संपर्क किया गया तो छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री भूपेष बघेल के संज्ञान में आया है, जिन्होंने आईजी को निर्देश दिया है कि इस मामले पर कोई फौरन एक्शन न ले और मीडिया के साथ सहयोग करे।