पांचवीं कक्षा से ऊपर के छात्रों से कोरोना संक्रमण के प्रसार का खतरा वयस्कों जितना ही होता है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) के शोधकर्ताओं ने अपने हालिया अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है। उन्होंने स्कूल खुलने पर छात्रों और शिक्षकों की नियमित रूप से कोरोना जांच करने की मांग भी की है।
अध्ययन में यह भी देखा गया कि प्राइमरी कक्षाओं के छात्रों से वायरस फैलने का जोखिम ज्यादा नहीं होता। बावजूद इसके स्कूल खुलने पर उनके लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। शोधकर्ताओं ने दस साल से कम और उससे अधिक उम्र के छात्रों से कोरोना संक्रमण के प्रसार का खतरा आंका।
इस दौरान दस साल से कम उम्र के जिन नौ हजार बच्चों की एंटीबॉडी जांच की गई, उनमें से सिर्फ छह की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यानी उनमें कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी पैदा हुए। वहीं, दस साल से अधिक उम्र के छात्रों में यह संख्या कई गुना अधिक थी।
पीएचई प्रवक्ता के मुताबिक बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उनका शरीर वयस्कों की तरह व्यवहार करने लगता है। यही वजह है कि पांचवीं कक्षा से ऊपर के छात्र ज्यादा आसानी से संक्रमित हो जाते हैं। हालांकि, उनमें सर्दी-बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण उभरने की गुंजाइश कम ही रहती है। इससे वे अनजाने में अपने संपर्क में आए लोगों में भी वायरस के वाहक बन जाते हैं।
अध्ययन से सितंबर से स्कूल-कॉलेज खोलने की ब्रिटिश सरकार की योजना का विरोध कर रहे शिक्षक संघ के और मुखर होने की आशंका जताई जा रही है। प्रवक्ता ने कहा कि स्कूलों में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए छात्रों और शिक्षकों की नियमित कोरोना जांच करना जरूरी है, फिर चाहे उनमें लक्षण हों या न हों। इसके अलावा हर उस व्यक्ति की निगरानी भी आवश्यक है, जो छात्रों और शिक्षकों के संपर्क में आते हैं।
कहां क्या कवायद-
चीन
-दिन में दो बार छात्रों और शिक्षकों का बुखार नापने की व्यवस्था।
-प्रत्येक क्लास में 50 के बजाय 30 बच्चों को ही बैठाने की इजाजत।
-ग्रुप डेस्क की जगह दो-दो मीटर की दूरी पर सिंगल डेस्क लगाई गई।
डेनमार्क-
-स्कूल पहुंचते ही छात्रों, शिक्षकों और स्टाफ की थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था।
-हर कक्षा में दो-दो मीटर की दूरी पर प्लास्टिक शील्ड वाली डेस्क लगाई गई है।
-पार्क, जिम, प्रयोगशालाओं में कक्षाएं लगाई जा रहीं, ताकि सभी बच्चे पढ़ाई कर सकें।
नॉर्वे-
-छात्रों और शिक्षकों के स्कूल पहुंचते ही न सिर्फ बुखार, बल्कि अन्य लक्षणों की जांच की जाती है
-प्रत्येक कक्षा में अधिकतम 15 से 20 छात्रों को ही बैठाने की अनुमति, खुली जगह में पढ़ाई पर जोर
सिंगापुर-
-दिन में दो बार बुखार सहित अन्य लक्षणों की जांच, क्लास में ग्रुप डेस्क की जगह सिंगल डेस्क लगाई गई।
-संक्रमित के संपर्क में आने पर छात्र-शिक्षक का क्वारंटाइन होना जरूरी, वायरस की पुष्टि पर स्कूल बंद कर पूर्ण रूप से सेनेटाइज करने की व्यवस्था।
ताइवान-
-स्कूल के प्रवेश द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था, हर व्यक्ति के लिए मास्क पहनना अनिवार्य।
-ग्रुप डेस्क की जगह प्लास्टिक शील्ड से घिरी सिंगल डेस्क लगाई, हर छात्र को अलग डेस्क दी गई।
-रोज उसी डेस्क पर बैठना अनिवार्य, कैंटीन-मेस में हर दूसरी और सामने वाली सीट को ब्लॉक किया।
नेताओं की राय-
-अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राज्य सरकारों पर सितंबर में स्कूल खोलने का दबाव बना रहे, हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा संघ छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने का पक्षधर।