लखनऊ। राजधानी के एक युवा इंजीनियर ने चीन काे मात देने का न केवल सपना देखा बल्कि उसकी बाजार में बढ़ी पैठ को कम करने का संकल्प भी ले लिया। कोरोना संक्रमण काल में युवक ने न केवल बिजली की झालरों पर शोध किया बल्कि चीन के दाम में स्वदेशी झालर बनाकर महिलाओं और अपने जैसे युवाओं को रोजगार से जोड़ने का भी सफल प्रयास किया। 2014 में डिप्लोमा पूरा होने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी तो लगी लेकिन कुछ अलग करने के सपने ने उन्हेें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रिक टे्ड में डिप्लोमा कर चुके युवक चंचल सिंह यादव की।
शिक्षक पिता गुरु प्रसाद यादव के ज्ञान कि बेटा समाज के लिए कुछ करना है, जिससे आपका नाम हो। अपने लिए तो सभी जीते हैं समाज की बात करके तुम अपने जैसों के लिए मिसाल कायम करो। फिर क्या था शिक्षक पिता के सपने को उड़ान देने और पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के उस वक्तव्य को जीवन हिस्सा बना लिया जिसमे उन्होंने कहा था कि बुलंदी पर पहुंचना है तो सपना देखना जरूरी है। हालात यह है कि वर्तमान में 200 से अधिक महिलाओं को न केवल उन्होंने ट्रेनिंग दी बल्कि वे समूह बनाकर साथी महिलाओं के साथ एलईडी झालर, सोलर झालर, एलईडी बल्ब, बांस की बनी टेबल लैंंप, सोलर गार्डन लैंप व सोलर फाउंटेन का निर्माण कर रही हैं।
यंग इंडिया पावर सेल्युशन के नाम से वह शहरी और ग्रामीण इलाकों में ट्रेनिंग के साथ रोजगार देने का काम कर रहे हैं। बिना करंट मारे पानी में जलती है झालर चंचल ने सोलर झालर बनाकर जहां बिजली बचत का फार्मूला देने का प्रयास किया तो पानी में बिना करंट मारे बिजली की झालर बनाकर अपनी बौद्धिक क्षमता काे भी दिखाने का प्रयास किया। चंचल बताते हैं कि चीन की बनी झालर 62 रुपये की आठ मीटर आती है और मेरी स्वदेशी झालर भी इसी कीमत पर तैयार है। चीन की झालर की गारंटी नहीं होती है, लेेकिन मेरी झालर चलती रहती है। झालर के बीच में बल्ब फ्यूज होने के बाद भी झालर चलती रहेगी डिजाइन के अनुसार दाम में कमी और बढ़ाेतरी होती है। इनके घर आई समृद्धि की रोशनी सीतापुर रोड निवासी पुष्पा लॉकडाउन में परिवार को लेकर परेशान थीं। किसी के माध्यम से उन्होंने चंचल से संपर्क किया।
उन्होंने एलईडी बनाने की ट्रेनिंग ली और खुद का कारोबार शुरू कर दिया। लॉकडाउन के दौरान पुष्पा आठ से 10 हजार रुपये महीना कमाकर अपने घर का खर्च चला रही हैं। पुष्पा ही नहीं राधा समेत 100 से अधिक महिलाएं जुड़कर अपने घर में समृद्धि का प्रकाश ला रही हैं। राजधानी में दीपावली में 50 करोड़ का काराेबार दीपावली मेें देश में केवल चीन से आने वाली झालरों का बाजार 13 लाख करोड़ का था जो विरोध के बाद घटकर पांच से आठ करोड़ हो गया है। चंचल के मार्केट सर्वे के मुताबिक ने 2014 से लगातार चीन की बनी झालरों की बिक्री में गिरावट आ रही है। राजधानी में करीब 100 करोड़ का वार्षिक झालरों का कारोबार अब 50 करोड़ से नीचे आ गया है। आने वाली दीपावली पर आप अपने घर में चीन की नहीं देश में बनी सोलर झालर को लगाकर चीन को मात दे सकते हैं। आपका छोटा सा प्रयास गरीबों के घर में समृद्धि का उजाला लाने का काम करेगा।