अचानक अजीब सी आवाज और अपार्टमेंट की फर्श दरकने लगती है। चीन के ग्वांगझोऊ में अमेरिकी विदेश विभाग के लिए कार्यरत मार्क लेनजी और उनकी पत्नी हड़बड़ी में नींद से उठ जाते हैं, लेकिन उनकी आंखें नहीं खुल पा रही थीं। तेज सिरदर्द भी था। उनके बच्चों की नाक से खून भी बह रहा था।
पहले उन्होंने सोचा कि ऐसा चीन में वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनकी याददाश्त भी काम नहीं कर रही। चीन में ऐसा हादसा अकेले मार्क और उसके परिवार के साथ ही नहीं हुआ, बल्कि 2018 से अब तक दर्जनभर से ज्यादा अफसर इस रहस्यमयी बीमारी का शिकार हो चुके हैं।
ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि हमारे रायजनयिक चीन के अलावा क्यूबा, रूस में भी इस रहस्यमयी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। यह ऐसा खुफिया कूटनीतिक रहस्य है, जिसमें गुप्त उच्च तकनीकी हथियारों और विदेशी हमले की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।
ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि चीन में जो कुछ हुआ वह ‘हवाना सिंड्रोम’ जैसा ही है। 2016-17 में क्यूबा की राजधानी हवाना में 20 से ज्यादा राजनयिक इसी तरह की बीमारी के शिकार हुए थे। इनमें सीआईए के अफसर भी शामिल थे। उन्हें भी तेज सिरदर्द, चक्कर आना और याददाश्त खोने की बीमारी पता चली। ऐसा उन्हें क्यों हुआ,आज तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, इसकी जांच अभी भी चल रही है। माना जा रहा है कि यहां किसी रेडियोधर्मी अथवा सोनार तरंगों से हमला किया गया था।
अप्रैल 2018 में ग्वांगझोऊ में ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने बताया था कि उनके यहां की एक कर्मचारी ने भी ‘असामान्य आवाज और प्रेशर’ की शिकायत की थी। इसके बाद वो मस्तिष्क की दर्दभरी चोट से जूझती रहीं। तब यहां एक मेडिकल टीम भेजी गई थी। कुछ लोगों को वापस भी बुलाया गया। उनकी जांच की जा रही है। अमेरिका ने पिछले महीने भी चीन में अपने नागरिकों के लिए स्वास्थ्य संबंधी अलर्ट जारी किया था।
अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को किसी असमान्य आवाज या किसी विजन (दृश्य) से सतर्क रहने को कहा गया था। क्यूबा में नए-नए राजनयिक बनकर गए बहुत से अधिकारियों ने भी इस रहस्यमयी बीमारी का शिकायत की थी। ज्यादातर राजनयिकों ने कहा कि सबसे ज्यादा दर्द रात में तब महसूस होता है, जब वे घर पर रहते हैं।
विशेषज्ञ ने कहा- ऐसे दर्द का तजुर्बा पहले कभी किसी से नहीं सुना
पेंसिल्वेनिया के विशेषज्ञ डफल्स स्मिथ ने रिसर्च के बाद कहा कि हमने ऐसे दर्द का तजुर्बा पहले कभी किसी से नहीं सुना। उन्होंने इसे ऐसे रहस्यों में से एक बताया, जिसे अमेरिकियों ने शीत युद्ध के बाद महसूस किया था। इधर, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड रेलमेन ने कहा कि इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा निराशाजनक यह है कि इसकी जांच सार्वजनिक नहीं हो रही।