बीजिंग। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से चीन की जनता में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जिन लोगों में सरकार की किसी भी नीति के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं होती थी, वो अब कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को जनता की लड़ाई बताने और उसे जीतने के सरकारी दावे का जमकर विरोध कर रहे हैं। वहीं राष्ट्रपति शी चिनफिंग को कोट करते हुए सरकारी टेलीविजन ने कहा कि इस वायरस से संक्रमित होने और घरों में कैद रहने वालों में गुस्सा बढ़ना स्वाभाविक है। हमें उसे समझना चाहिए और उसकी अनदेखी करनी चाहिए।
दरअसल, इसी हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग कोरोना वायरस के केंद्र वुहान शहर का दौरा किया था। उसके बाद ही चीन सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को जनता की लड़ाई बताने का ताना-बाना बुना और उसे जीत लेने का दावा भी करने लगी। लेकिन मौतों के बढ़ते आंकड़ों के बीच सरकार के इस दावे ने लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया।
लोग सरकार के इस दुष्प्रचार के खिलाफ सोशल मीडिया पर टूट पड़े। महामारी बन चुकी इस बीमारी के खिलाफ सबसे पहले आगाह करने वाली वुहान की डॉक्टर एई फेन के आवाज को जहां सरकार ने दबा दिया था, लोग उनके साक्षात्कार को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे। मानव और अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो रहे इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में चीन सरकार की लापरवाही पर लोगों का विरोध खुलकर सामने आने लगा है।
साक्षात्कार के मजमून के साथ इमोजी, ब्रेल, ओरोकल बोन स्क्रिप्ट, मोर्स कोड, गाने की शीट और यहां तक कि एल्विश भाषा में पेश किया गया है। बीजिंग में फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी में मीडिया विभाग में प्रोफेसर झांग जियांग का कहना है कि इस महामारी के दौरान सरकार के दुष्प्रचार के खिलाफ लोगों के विरोध की तीव्रता और पैमाना अभूतपूर्व है। हाल ये है कि कई बार तो इंटरनेट सेवा तक बैठ गई।