वॉशिंगटन। तिब्बत के धार्मिक गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे को लेकर चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते सामान्य नहीं है। दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम (Tibetan Policy and Support Act) को सर्वसम्मति से पारित किया है। इसमें कहा गया है कि तिब्बत के धार्मिक नेता के चयन का अधिकार चीन सरकार के बजाय तिब्बतियों का है।
इसका मकसद तिब्बत के समर्थन वीली नीति को मजबूत करना और हिमालय में बौद्ध क्षेत्र के प्रतिनिधियों को प्रोत्साहित और सशक्त बनाना है, जो कई दशकों से चीन के नियंत्रण में रहा है। इस पूरे विषय पर चीन की तरफ से कहा गया था कि अमेरिका धार्मिक आजादी के नाम पर चीन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप कर रहा है।
बता दें कि इससे पहले अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने तिब्बत में मानवाधिकारों और पर्यावरण संरक्षण के लिए वाशिंगटन के समर्थन को मजबूत करने वाले विधेयक को मंजूरी दी थी। विधेयक में कहा गया कि तिब्बत में धार्मिक नेता के चयन का अधिकार चीन सरकार के बजाय तिब्बतियों को होगा।
अमेरिकी संसद द्वारा पारित तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम 2019 को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि अमेरिका ने ऐसा करके अंतरराष्ट्रीय कानून और रिश्तों के बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन किया है। चीन ने इसे उसके आंतरिक मामलों में दखल बताया। उन्होंने कहा, चीन इस बात से नाराज है कि अमेरिका ने तिब्बती स्वाधीनता संबंधी ताकतों को गलत संकेत भेजा है।