चीन सीमा पर स्थित सेना की अंतिम स्थायी चौकी मिलम और रेलकोट सड़क से जुड़ गई हैं। हालांकि मुनस्यारी की तरफ से रेलकोट को जोड़ने के लिए अभी 24 किमी सड़क का निर्माण जारी है। ये निर्माण पूरा होने के बाद मुनस्यारी से मिलम तक सीधे वाहन जा सकेंगे। फिलहाल सीमा सड़क संगठन ने दोनों चौकियों के बीच हेलीकाप्टर से पांच वाहन उतारकर चीन सीमा की अंतिम चौकी तक आवाजाही शुरू करा है। रेलकोट और मिलम के बीच बनी सड़क की दूरी 18 किमी है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) मुनस्यारी-मिलम के बीच 61 किमी लंबी सड़क का निर्माण साल 2008 से करा रहा है। बीआरओ ने मुनस्यारी से माल्छू तक पहले ही 19 किमी सड़क बना ली है। बीच में 24 किमी का काम अभी चल रहा है। दूसरी तरफ चीन सीमा पर सेना की अंतिम चौकी मिलम से भी मुनस्यारी की तरफ सड़क कटिंग का कार्य चल रहा था। इस तरफ से कटिंग का मकसद था कि जल्द से जल्द अंतिम स्थायी चौकी को रेलकोट चौकी से जोड़ा जाए। बीआरओ ने अब 18 किमी के इस हिस्से का भी निर्माण पूरा लिया है। गुरुवार को दोनों चौकियों के बीच आईटीबीपी और बीआरओ ने वाहनों की आवाजाही शुरू कराई। सड़क निर्माण से चीन सीमा पर स्थित सेना की चौकियों में आवाजाही सुगम हो जाएगी। साथ ही यह सड़क सीमा सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगी।
हेलीकॉप्टर से पहुंचाए गए वाहन
बीआरओ ने उम्मीद जताई है कि जल्द मुनस्यारी से मिलम तक पूरी सड़क तैयार कर ली जाएगी। अभी मुनस्यारी तक सड़क का निर्माण पूरा न होने से आईटीबीपी और सेना के वाहनों को मालवाहक हेलीकॉप्टर से मिलम पहुंचाया गया था। जानकारी के मुताबिक, मिलम और रेलकोट के बीच आईटीबीपी एवं बीआरओ के जिप्सी और ट्रक सहित पांच वाहनों का संचालन किया जा रहा है।
सेना को होगा फायदा, निर्माण में आएगी तेजी
मिलम से रेलकोट तक सड़क निर्माण होने से सेना को इसका बढ़ा लाभ मिलेगा। सड़क निर्माण से पहले जवानों को पैदल ही चीन सीमा पर स्थित चौकियों में पहुंचना पड़ता था। जानकारी के मुताबिक, सड़क निर्माण से पहले जवानों को अंतिम चौकी तक पहुंचने में एक दिन और एक रात का समय कम लगेगा। इसके अलावा चौकियों में रसद और अन्य जरूरी सामान पहुंचाना भी आसान हो जाएगा। इसके साथ ही सड़क निर्माण का सामान आसानी से वहां पहुंचाया जा सकेगा, जिससे निर्माण कार्य में तेजी आएगी।
माइग्रेशन के 13 गांवों को भी लाभ
मिलम तक सड़क निर्माण होने से इसका बड़ा लाभ माइग्रेशन के 13 गांवों के लोगों को भी मिलेगा। मुनस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्र स्थित बिल्जू, मिलम, मरतोली, बुर्फू, टोला, गनघर, पांछू सहित 13 गांवों में हर साल मुनस्यारी के लोग माइग्रेशन पर जाते हैं। उनके वहां पहुंचने का एकमात्र साधन पैदल आवाजाही थी। लेकिन सड़क निर्माण होने से अब माइग्रेशन पर जाने वाले लोगों को 18 किमी की पैदल आवाजाही कम करनी पड़ेगी।
-केशव दत्त जोशी, डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर, निर्माणकर्ता-एबीसीआई कंपनी, मुनस्यारी-मिलम सड़क ने बताया कि मुनस्यारी से मिलम की तरफ लगभग 19 किमी और मिलम से रेलकोट तक 18 किमी सड़क का निर्माण कार्य किया गया है। इसमें अब वाहन संचालित हो रहे हैं।