कोरोना महामारी के खिलाफ दुनियाभर में वैक्सीनेशन तेज गति से जारी है। भारत ने भी कई देशों को वैक्सीन मुहैया करवाई है। जहां एक ओर भारत के पास मेड इन इंडिया वैक्सीन्स हैं, तो दूसरी पड़ोसी देश पाकिस्तान अभी भी कोई वैक्सीन नहीं बना सका है और न ही वह खरीदने वाला है। दरअसल पाकिस्तान चीन की वैक्सीन और खैरात में अन्य देशों से मिलने वाली वैक्सीन के भरोसे ही बैठा हुआ है। इन्हीं वैक्सीन्स के बदौलत पाकिस्तान ने 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों का वैक्सीनेशन भी शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में भी पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में एक बार फिर से तेजी आई है।
पाकिस्तान के दोस्त चीन ने पिछले महीने उसे अपनी वैक्सीन सिनोफार्म की डोज दी थीं। इसी वैक्सीन्स की बदौलत पाकिस्तान अपने देश के नागरिकों का टीकाकरण कर रहा है। पाकिस्तान को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की कोवैक्स फैसिलिटी के तहत एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन भी मिलने वाली है। प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान को मार्च से लेकर जून महीने तक इस स्कीम के तहत एक करोड़ 70 लाख वैक्सीन की डोज मिलेगी। पड़ोसी देश में एक मार्च से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। उसी दौरान स्कूलों को भी वापस शुरू किया गया था। वहीं, आज सरकार इस बात पर भी फैसला करेगी कि क्या स्कूलों को फिर से शुरू रखा जाए या फिर बंद कर दिया जाए। इस समय पाकिस्तान में कोरोना वायरस के 5,95,239 मामले हैं, जिसमें से 13,324 लोगों की मौत हो चुकी है।
अब भले ही पाकिस्तान चीनी टीके का इस्तेमाल बुजुर्ग लोगों पर कर रहा हो, लेकिन कुछ समय पहले वह ही इन टीकों को खराब बता चुका है। प्रधानमंत्री इमरान खान के स्वास्थ्य मामलों के विशेष सहायक डॉक्टर फैसल सुल्तान ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान की विशेषज्ञ समिति ने डेटा के प्रारंभिक विश्लेषण पर विचार करने के बाद सुझाव दिया गया है कि टीका केवल 18 से 60 साल तक के आयु समूहों के लोगों को लगाया जाए। उन्होंने कहा था समिति ने इस चरण में सिनोफार्म टीके को 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए अधिकृत नहीं किया है। चीन ने पाकिस्तान को पांच लाख सिनोफार्म टीके दान किए थे, जिन्हें लेने के लिए पाकिस्तान से एक विमान गया था।