नई दिल्ली। चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत ने भी कड़ा रुख अपना लिया है। सरकार के सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में चीन द्वारा लगातार माहौल खराब करने की कोशिश के बावजूद भारत लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के साथ रणनीतिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं को नहीं रोकेगा।
इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनावपूर्ण माहौल के बीच मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में एलएसी के जमीनी हालात की समीक्षा की गई और आगे की रणनीति पर विचार किया गया। रक्षा मंत्री ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों से साफ कहा है कि लद्दाख, सिक्किम, उत्तराखंड या अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास किसी भी महत्वपूर्ण परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है।
दोनों पक्षों के बीच लगभग 20 दिनों के गतिरोध के मद्देनजर, भारतीय सेना ने उत्तरी सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश के अलावा लद्दाख में संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही चीन को साफ संकेत दिया है कि वो किसी भी तरह के आक्रामक रवैये के आगे नहीं झुकेगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवने रक्षा मंत्री को पूर्वी लद्दाख और एलएसी में तेजी से विकसित हो रही स्थिति के बारे में रोजाना जानकारी दे रहे हैं, जिसके बाद यह तय किया गया है कि भारत अपने इलाके में चीन की किसी भी तरह गड़बड़ी पर कड़ी जवाबी कार्रवाई करेगा।
गौरतलब है कि पिछले पांच वर्षों में, चीन की ओर से किसी भी चुनौती से निपटने के लिए सैन्य तैयारी को मजबूत करने के प्रयासों के तहत भारत एलएसी के साथ सड़क और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।