निर्णय के बाद भुगतान के फाइलों को भी रोका
लखनऊ। महापौर संयुक्ता भाटिया के भ्रष्टाचार के आरोपों से सबक लेते हुए लखनऊ नगर निगम ने एक अहम निर्णय लिया है। कोविड-19 के खिलाफ चल रही लड़ाई के दौरान होने वाली किसी भी खरीद का भुगतान वह खुद करेंगे। पूर्व में हुई संसाधनों के खरीद का भी भुगतान अधिकारी ही करेंगे और उसका पूरा ब्यौरा रखेंगे। अधिकारियों की बैठक में सर्वसम्मति से हुए निर्णय के बाद भुगतान के लिए बनी फाइलों को भी रोक दिया गया है।
नगर निगम कोरोना के खिलाफ दो माह से ज्यादा समय से अभियान चला रहा है। शुरुआत में नगर निगम के पास कोई संसाधन नहीं था। उस समय शहर को सेनेटाइज कराने के लिए आनन-फानन में सोडियम हाइपो क्लोराइड, मास्क, ग्लब्स, सेनेटाइजर आदि की खरीद की गई। कुछ पीपीई किट भी दिल्ली से खरीदी गई। लगभग आठ लाख रुपए के संसाधन खरीदे गए। इसके बाद समस्त संसाधन दान में मिलने शुरू हो गए।
सैनिटाइजर की शीशी खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप
एक संस्था ने तो एक साथ 20 हजार लीटर सोडियम हाइपो क्लोराइड दे दिया। इसके अलावा आईआईटीआर, सीमैप व अन्य संस्थानों ने बड़ी मात्रा में सेनेटाइजर, मास्क व ग्लब्स दान किया है। पूर्व में खरीदे गए संसाधनों में लगभग 50 हजार रुपए का ही भुगतान किया गया है। शेष की फाइल स्वीकृत होनी है। इस बीच सफाई कर्मचारियों व हॉट स्पाट क्षेत्र में सेनेटाइजर बांटने के लिए 50-50 एमएल की दस हजार शीशियां मंगाई गई। महापौर ने शीशियों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया जबकि नगर निगम मुफ्त में मिलने का दावा कर रहा है।
अधिकारियों के खुद से एकत्र फण्ड से संसाधनों का होगा भुगतान
इस आरोप से आहत नगर निगम के अधिकारियों सर्वसम्मति से तय किया कि कोरोना वायरस से जंग में संसाधनों की खरीद नगर निगम के किसी मद से नहीं की जाएगी। इसकी व्यवस्था अधिकारी अपनी जेब से करेंगे। बीते आठ मई को कोविड-19 आफिशियल डोनेशन फण्ड के नाम से अकाउंट खोला गया। उसमें सभी अधिकारियों ने अपना एक माह का वेतन जमा किया। अकाउंट में लगभग 18 लाख रुपए जमा हो चुके हैं। अधिकरियों ने अब तय किया है कि पूर्व में खरीदे गए सभी संसाधनों का भुगतान भी वेतन से जमा हुई धनराशि से किया जाएगा।