लखनऊ। दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड कंपनी (डीएचएफएल) में भविष्य निधि का पैसा फंसने के बाद से परेशान बिजलीकर्मियों के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है। सरकार ने पीएफ भुगतान की गारंटी ले ली है। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस मामले की कमान संभालने के बाद ही समाधान भी निकल आया।
सरकार ने शनिवार देर रात संबंधित आदेश जारी कर दिया गया। अब डीएचएफएल में अटका पीएफ का पैसा अगर न आ पाया और पावर कार्पोरेशन भी भुगतान करने में सक्षम न रहा तो सरकार उसे ब्याज रहित ऋण देकर बिजलीकर्मियों का भुगतान सुनिश्चित करेगी।
डीएचएफएल में भविष्य निधि का 2268 करोड़ रुपया फंसने के बाद से बिजली कर्मी आंदोलित थे। वह आशंकित थे कि यदि कंपनी से पैसे की वापसी न हो सकी तो हजारों करोड़ रुपये का घाटा झेल रहा पावर कार्पोरेशन कैसे भुगतान करेगा? कर्मचारियों की मांग थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें और सरकार भुगतान की गारंटी ले। गत दिवस योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और सक्षम अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी विकल्पों पर विचार-विमर्श किया। शनिवार को दिन में ऊर्जा मंत्री ने संबंधित बिजली कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता की।
वार्ता में बनी सहमति के बाद प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार की ओर से देर रात गारंटी संबंधी शासनादेश भी जारी कर दिया गया। शासनादेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट और पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा डीएचएफएल से रकम वापसी के लिए सभी विधिक कदम उठाए जाएंगे और धनराशि वापस प्राप्त होने पर उसका नियमानुसार निवेश सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही कहा है कि डीएचएफएल में निवेशित धनराशि की वापसी में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, जिसके कारण कार्मिकों के पीएफ भुगतान में ट्रस्ट अपने आप को अक्षम पाता है तो पावर कारपोरेशन द्वारा अपने स्रोतों से पैसा दिया जाएगा। यदि किन्हीं परिस्थितियों में कारपोरेशन भी वांछित धनराशि ट्रस्ट को उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हो पाता तो राज्य सरकार द्वारा आवश्यकतानुसार धनराशि पावर कारपोरेशन को ब्याज रहित ऋण के रूप में प्रदान की जाएगी ताकि भुगतान में कोई दिक्कत न आने पाए।
प्रमुख उर्जा सचिव अरविंद कुमार ने भरोसा दिलाया है कि अगर कानूनी प्रक्रिया के तहत डीएचएफएल से पैसा वापस नहीं मिलता है तो सरकार का पॉवर कॉर्पोरेशन कर्मचारियों के पीएफ के पैसों का भुगतान करेगी।साथ में यह भी कहा कि अगर पॉवर कॉर्पोरेशन के पास पैसे की कमी होगी तो सरकार की तरफ से ट्रस्ट को लोन दिया जाएगा, जिससे कर्माचारियों का पैसा वापस किया जा सके।
नवंबर के पहले हफ्ते में पॉवर कॉरपोरेशन में पीएफ घोटाला सामने आया लेकिन, इसके समाधान का रास्ता विगत गुरुवार को बन पाया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाली। गुरुवार को ऊर्जा मंत्री और आला अधिकारियों के साथ काफी देर चर्चा की और समाधान खोजने का निर्देश दिया था। सीएम ने कर्मचारियों को परेशान नहीं होने का संदेश भी दिया था। इस बैठक के 48 घंटे के भीतर पीएफ फंड की फंसी रकम को लेकर फैसला हो गया।
अब तक पूर्व एमडी समेत पांच गिरफ्तार
पीएफ घोटाला की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले के प्रथम दृष्टया दोषी विद्युत निगम लिमिटेड के पूर्व एसडी एपी मिश्रा समेत पांच लोगों के खिलाफ न सिर्फ एफआईआर दर्ज करा दी बल्कि विद्युत निगम के पूर्व एमडी एपी मिश्रा, तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी और तत्कालीन सचिव (ट्रस्ट) प्रवीण कुमार गुप्ता और उनके बेटे अभिनव गुप्ता समेत पांच को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। दूसरी ओर विद्युत निगम मुम्बई हाईकोर्ट के साथ आरबीआई (आरबीआई) से भी मदद की गुहार लगाकर डीएचएफएल में फंसे भविष्य निधि की धनराशि वापस कराने का प्रयास कर रही है।
दोषियों के खिलाफ हो रही विधिक कार्रवाई
शासनादेश में स्पष्ट किया है कि उप्र पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट और उप्र पावर कार्पोरेशन लिमिटेड सीपीएफ ट्रस्ट ने भारत सरकार के निर्देशों के विपरीत ट्रस्ट की धनराशि का अनियमित निवेश किया गया है। ऐसे में एफआइआर दर्ज कराकर दोषियों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पूरे मामले की जहां आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जांच की जा रही है वहीं सरकार ने सीबीआइ जांच की भी सिफारिश केंद्र सरकार से कर रखी है।