कोरोना मरीजों से इलाज के नाम पर नर्सिंग होम मरीजों को लूट रहे हैं। कोई भी संक्रमित आ रहा है तो उसे स्क्रीनिंग के बगैर भर्ती कर रहे, जिन मरीजों के इलाज के लिए अधिकृत नहीं है, उसे भी भर्ती करके अनाप-शनाप पैसे लिए जा रहे। रुपए के लिए मरीज बंधक भी बनाए जा रहे।
अस्पतालों में अंधेरगर्दी का आलम यह है कि खाने का एक दिन का चार्ज 2500 रुपए और चादर बदलने का शुल्क पांच हजार रुपए रोजाना लिए जा रहे हैं। सीएमओ के पास तीन शिकायतें पहुंची हैं। डीएम ने सभी शिकायतों की गंभीरता से जांच करने को कहा है। सीएमओ अपने स्तर पर मौखिक शिकायतों के आधार पर जांच करा रहे हैं। नोडल अधिकारी नर्सिंग होम को दो कोविड अस्पतालों में वसूले जा रहे बिल की पड़ताल करने और मरीजों के तीमारदारों से हकीकत जानने के लिए अस्पतालों में भेजा गया है।
सीएमओ डॉ. अनिल कुमार मिश्र का कहना है कि ऐसी शिकायत मिली है कि एक मरीज की एक सप्ताह में तीन बार कोविड जांच कराई जा रही है जबकि एमसीआई के मानकों में यह नहीं है। मरीजों से पैसे वसूलने के चक्कर में अस्पताल अपने स्तर से नियमों को तोड़ रहे हैं। एक मरीज के तीमारदार ने मरीज को बंधक बनाने की शिकायत की है। कुछ तीमारदारों को बिल नहीं दिया जा रहा है और पैसे लिए जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने इन शिकायतों को देखने के लिए कहा है। हालांकि शिकायतकर्ताओं ने अभी लिखित आवेदन नहीं दिया है फिर भी जांच की जा रही है।
केस-1
नौबस्ता निवासी कोरोना पॉजिटिव रोगी से एक लाख 25 हजार रुपए पैकेज पर सात दिनों के लिए प्राइवेट कोविड अस्पताल में भर्ती किया गया था। 10 दिन भर्ती रहे। 3.25 लाख रुपए का बिल घरवालों को देना पड़ा। मरीज लेवल-वन के थे जिसमें अधिक इलाज की जरूरत नहीं थी। उसके बावजूद लेवल-3 के अस्पताल ने भर्ती कर लिया।
केस-2
यशोदानगर के एक मरीज के तीमारदार ने शिकायत की है कि प्राइवेट कोविड अस्पताल में उनके मरीज से फोन रखवा लिया गया। उन्हें आईसीयू की जरूरत नहीं थी फिर भी आईसीयू वाले बेड पर लिटाए रहे। मरीज कहता रहा है कि उसे सामान्य बेड पर भर्ती कर दें मगर अस्पताल वाले 30 हजार रुपए रोजाना चार्ज के लिए आईसीयू दिखाते रहे।