राज्यपाल ने इण्डो-ईरानियन वेबिनार को सम्बोधित किया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा आयोजित ‘स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड-19 का उभरता परिप्रेक्ष्य‘ इण्डो-ईरानियन वेबिनार को सम्बोधित करते हुये कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना का स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों पर बहुत गहरा प्रभाव पडा है। सभी देशों को मिलकर इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई लड़नी है। वैश्विक परिदृश्य के दृष्टिगत सभी देशों को आपस में समन्वय कर इसके मैनेजमेन्ट, उपचार एवं वैक्सीन के शोध इत्यादि के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करना आवश्यक है। भारत और ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति एवं इससे संबंधित अन्य परिस्थितियां मिलती जुलती हैं। दोनों देश कोरोना के संबंध में जानकारी का आदान-प्रदान कर इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 वायरस जनित एक महामारी है परन्तु इसने पूरे विश्व को काफी कुछ सीखने एवं सोचने को मजबूर किया है। भारत में कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत चिकित्सालयों में वेन्टीलेटर्स की संख्या को बढ़ाया गया है। नवाचार के माध्यम से नये बनने वाले वेन्टीलेटर्स पहले की अपेक्षा कम मूल्य में उपलब्ध हो रहे है। चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग हेतु पी0पी0ई0 किट का पहले हम आयात करते थे तथा सीमित मात्रा में मास्क एवं गलव्स का उत्पादन देश में होता था, परन्तु आज देश में प्रतिदिन बड़ी संख्या में न केवल पी0पी0ई0 किट, मास्क एवं गलव्स का उत्पादन हो रहा है बल्कि निकट भविष्य में हम विश्व के अनेक देशों का इसका निर्यात भी करेंगे।
श्रीमती पटेल ने कहा कि दुनिया भर में कोविड-19 के उपचार के संबंध में वैक्सीन बनाने हेतु शोध जारी हैं। शोधकर्ताओं के समक्ष भी यह एक चुनौती है कि बिना विस्तृत शोध एवं क्लीनिकल ट्रायल के किसी दवा या वैक्सीन को कैसे प्रयोग में लायें। फिर भी दुनिया भर के शोधकर्ता कोविड-19 से निपटने के लिए जिस स्तर पर शोध कर रहे हैं और इसके संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का संक्रमण कम हो जाने के बाद भी हम सभी को बदले तरीके से ही जीना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से लड़ने में देश को सक्षम बनाने की अपनी योजनाओं को प्रारम्भ में ही लागू करना शुरू कर दिया था। प्रारम्भ में देश में कोविड अस्पतालों की कोई अवधारणा नहीं थी। आज देश में लगभग 700 से अधिक विशेष कोविड अस्पताल हैं, जिसमें आइसोलेशन बेड और आई.सी.यू. बेड हैं। कोरोना-19 की टेस्टिंग हेतु एक लैब थी और वर्तमान में 300 से अधिक टेस्टिंग लैब देश भर में कार्य कर रही हैं। प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि से ही भारत में कोरोना-19 के संक्रमण पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सका है। राज्यपाल ने कहा कि विकसित देशों की तुलना में भारत में अधिक जनसंख्या एवं आबादी के अधिक घनत्व के बाद भी कोविड-19 के संक्रमण से मरने वालों की संख्या कम रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी कोरोना से बचाव एवं उपचार हेतु वृहद स्तर पर व्यवस्था की गयी है। लखनऊ में स्थापित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने कोरोना की जांच एवं बचाव हेतु नये उपकरण विकसित किये हैं।
वेबिनार में स्वामी विवेकानन्द कल्चरल सेन्टर भारतीय दूतावास तेहरान के निदेशक प्रोफेसर अभय कुमार सिंह, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता, पारडीस टेक्नोलाॅजिक पार्क, वाइस प्रेसीडेंसी आॅफ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी ईरान के डाॅ अली मम्हूरी, नेशबूर यूनिवर्सिटी आॅफ मेडिकल साइंसेस ईरान के डाॅ0 मोहसिन आजिमी नेहद एवं डाॅ0 नय्येरेह अमिनिसानी, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एजूकेशन एण्ड रिसर्च चंडीगढ़ के पूर्व निदेशक प्रोफेसर के0के0 तलवार, ट्रांसलेशन हेल्थ सांइस एण्ड टेक्नोलाॅजी इंस्टीट्यूट के सलाहकार प्रोफेसर एन0के0 गांगुली, एम्स ¬ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत सहित अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण भी उपस्थित थे।