कोरोना संक्रमण को रोकने को लेकर कंटेंमेंट जोन बनाए जाने को लेकर जारी नए शासनादेश के बाद अब राजधानी लखनऊ में नए सिरे से कंटेंमेंट जोन का गठन होगा। अधिकारियों के अनुसार, अब एक केस पर 25 मीटर रेडियस में बीस घरों और एक से अधिक केस मिलने पर 50 मीटर रेडियस में 60 घरों को कंटेंमेंट जोन मानते हुए टेस्टिंग व सैनिटाइजेशन होंगे।
इसी क्रम में मरीजों के अनुसार कंटेंमेंट जोन तय होंगे। अभी तीन अप्रैल तक मिले मरीजों के अनुसार शहर में 681 माइक्रो कंटेंमेंट जोन हैं। अभी सभी कंटेंमेंट जोन में बैरीकेडिंग भी नहीं है। होम आइसोलेशन में रह रहे जिस मरीज ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने और बैरीकेडिंग न करने की अपील की, वहां बैरीकेडिंग नहीं की गई थी।
नए आदेश के तहत नए कंटेंमेंट जोन की व्यवस्थाएं की जाएंगी। बैरीकेडिंग को लेकर नए आदेश में कोई जिक्र नहीं है। बहुमंजिला इमारतों में जिस तल पर एक मरीज मिला, उस तल को कंटेंमेंट जोन बनाने और कई मरीज मिलने पर पूरी बिल्डिंग को कंटेंमेंट जोन बनाने के निर्देश तो हैं, लेकिन बैरीकेडिंग को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं है।
टेस्टिंग व सैंपलिंग में होगी सख्ती
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बाहर से आने वाले लोगों की जांच के साथ ही सीएचसी स्तर पर सर्वे कर रोगियों को चिह्नित करने और टेस्टिंग कराए जाने के काम में सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि बढ़ रही मरीजों की संख्या को देखते हुए दस एंबुलेंस मथुरा व नोएडा से आई हैं। सभी एंबुलेंस में जीपीएस इंस्टॉल कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बैरीकेडिंग वाले कंटेंमेंट जोन में आवश्यक वस्तुओं की डोर-टू-डोर डिलीवरी सोमवार से कराने के निर्देश दिए हैं।
स्मार्ट सिटी सभागार में बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने एंबुलेंस के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने जीपीएस इंस्टॉल करने के बाद एम्बुलेंसों की मॉनिटरिंग के लिए स्मार्ट सिटी में ही एक कंट्रोल रूम बनाने के भी निर्देश दिए। तत्काल भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस का प्रोटोकॉल बनाया गया है। इसमें एल टू व एल थ्री मरीजों को जीवीके एंबुलेंस से हॉस्पिटल भेजा जाता है। वहीं एल वन मरीजों को मुख्य चिकित्साधिकारी की कंट्रोल सेंटर में रहने वाली एंबुलेंस से भर्ती कराया जाता है। बैठक में एंबुलेंस के स्टाफ की ट्रेनिंग भी कराने के निर्देश दिए गए।