जेनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने सोमवार को कहा कि कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) की आपात मंजूरी देने में बेहद सावधानी और गंभीरता की जरूरत है। डब्लूएचओ ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब अमेरिका ने घोषणा की है कि वह इसमें तेजी लाने पर विचार कर रहा है।
डब्लूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि प्रत्येक देश को ट्रायल पूरे किए बिना दवाओं को मंजूरी प्रदान करने का अधिकार है, लेकिन यह ऐसा नहीं है जिसे आप हलके फुलके तरीके से कर लेते हैं। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख ने कहा है कि अगर कोरोना वैक्सीन के खतरों से ज्यादा उसके फायदों को लेकर अधिकारी आश्वस्त हैं तो वह सामान्य मंजूरी प्रक्रिया को बाईपास कर इसे मंजूरी प्रदान करने को तैयार हैं।
डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सामाजिक गतिविधियों को इतनी जल्दी बहाल करना खतरनाक है। उन्होंने सलाह दी कि जिन देशों का वायरस पर जितना ज्यादा नियंत्रण होगा वे उतनी ज्यादा गतिविधियां बहाल कर सकते हैं।
आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने पर विचार
रूस और चीन के बाद अमेरिका भी कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण पूरा होने से पहले ही उसके आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। एफडीए के कमिश्नर स्टीफन हान ने कहा कि अगर जोखिम से लाभ मिलता है तो कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति देना सही फैसला होगा। एफडीए प्रमुख का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि एक हफ्ते पहले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैक्सीन के ट्रायल के लिए दवा कंपनियों को मंजूरी देने के उसके तौर तरीकों की आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि उनके चुनाव को प्रभावित करने के लिए एफडीए मंजूरी देने में देरी कर रहा है। हान ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के फैसले राजनीति से प्रभावित होकर नहीं किए जाते।