नई दिल्ली। कोरोना वायरस जैसी ख़तरनाक बीमारी ने दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित किया है। इस वायरस का असर एक इंसान की उम्र और पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर निर्भर करता है। कोरोना वायरस के लक्षण तीन तरह के दिखे जा रहे हैं- हल्के, मामूली और गंभीर। हालांकि, ये चिकित्सकीय रूप से स्वीकृत शब्द नहीं हैं, इसलिए जब डॉक्टर से सलाह लें तो अपने लक्षणों के बारे में खुल कर बताएं।
हल्के लक्षण
आकड़ों को देखें तो कोरोना वायरस के 80 प्रतिशत मामलों में लक्षण हल्के ही देखे गए हैं। कोरोना वायरस के हल्के लक्षणों में बुख़ार, सांस से जुड़ी दिक्कतें, सूखी खांसी और बदन दर्द है। इस दौरान ये भी हो सकता है कि बुख़ार से पहले आपको बाकी लक्षण महसूस हों। हल्के लक्षणों में आपका अस्पताल में भर्ती होना ज़रूरी नहीं है। इस स्टेड के ज़्यादातर मामले आसानी से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, उम्रदराज़ और वो लोग जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उनके लिए यही लक्षण सामान्य क्षेणी के हो जाते हैं।
सामान्य लक्षण
कोरोना वायरस संक्रमण के सामान्य मामलों में आमतौर पर खांसी, 100 डिग्री तक का बुख़ार, ठंड लगना और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण दिखते हैं। इस मामले में भी अस्पताल में भर्ती होना ज़रूरी नहीं है, हां अगर मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ हो रही है या डीहाइड्रेट है तो अस्पताल जाना पड़ सकता है। जब मुंह सूख रहा हो, त्वचा सूखी हो या चक्कर आए, तो समझ लीजिए ये डीहाइड्रेशन के लक्षण हैं। कई बार, सामान्य स्टेज वाला इंफेक्शन हल्के निमोनिया में बदल जाता है। ऐसे मामलों में, निमोनिया एक ऐसे स्तर पर पहुंच जाता है, जब मरीज़ को सांस लेने में मदद की ज़रूरत पड़ती है। साथ ही ऐसे मरीज़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन का जोखिम भी बढ़ जाता है।
गंभीर लक्षण
पांच मरीज़ों में से एक ऐसा मामला आता है जब लक्षण गंभीर दिखाई देते हैं। 14 प्रतिशत मरीज़ों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन या वेंटीलेटर की ज़रूरत पड़ती है, वहीं 6 प्रतिशत मामलों में मरीज़ सेप्टिक शॉक में चला जाता है। सेप्टिक शॉक में रक्तचाप में गिरावट देखी जाती है, जिसकी वजह से स्ट्रोक्स, हृदय और फेफड़ों का फेल होना देखा जाता है और अंत में मृत्यु का कारण बन जाता है। ये इंफेक्शन कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन में बुरी तरह बिगड़ सकता है। कई मामलों में ये लक्षण निमोनिया में बदल जाते हैं