भारत की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति के सवाल पर जालान ने कहा, बेरोजगारी अधिक है। विकास दर और ऋण वृद्धि कम है। निवेश में भी गिरावट है। ऐसे में विकास दर पहले के अनुमान के मुकाबले कम रहेगी। उन्होंने कहा कि इस समस्या का कारण कोरोना वायरस ही है, जिससे अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं संकट में हैं। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही अच्छी स्थिति में नहीं थी। ऐसे में कोविड-19 महामारी के कारण यह और प्रभावित होगी।
राजकोषीय प्रोत्साहन के सवाल पर उन्होंने कहा, इस संकट से निपटने के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए। बजट घोषणा के मुकाबले राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में 0.5 फीसदी की वृद्धि पर चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस महामारी से निपटना ज्यादा महत्वपूर्ण है। सरकार ने 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.8 फीसदी रखा है, जो पहले 3.3 फीसदी था। प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई को नीतिगत दरों में कटौती करनी चाहिए, इस पर उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक पहले ही ऐसा कर चुका है।
जालान ने कहा कि निजी बैंकों पर संकट के लिए यस बैंक जिम्मेदार है। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते थे क्योंकि बैंक में समस्याएं दो-तीन साल पहले ही सामने आ गई थी। पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा, इस संकट के लिए यस बैंक ही जिम्मेदार है। इसके लिए आरबीआई या वित्त मंत्रालय को जिम्मेदारी ठहराना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संकट के सामने आने के बाद आरबीआई ने यस बैंक के प्रबंधन को बर्खास्त कर मौद्रिक सीमा लगा दी थी।