नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देश में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान जेल में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए पिछले डेढ़ महीने में 42,259 विचाराधीन कैदियों को देश भर की जेलों से रिहा किया गया है। क्षमता से अधिक भरे जेलों में कोरोना वायरस फैलने का खतरा अधिक था, जिसके मद्देनजर कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 9,977 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया। इसके बाद राजस्थान से 5460, तमिलनाडु से 4547, पंजाब से 3698, महाराष्ट्र से 3400, मध्य प्रदेश से 2833, दिल्ली से 2177, हरियाणा से 1843, पश्चिम बंगाल से 1715 और छत्तीसगढ़ से 1643 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त समितियों के सुझावों पर इन विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है। शीर्ष अदालत ने 23 मार्च को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करने का निर्देश दिया था, जो कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कैदियों को अंतरिम जमानत या परोल पर रिहा करने का निर्णय ले।
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान 16,391 कैदियों को परोल आदि पर रिहा किया गया। मध्य प्रदेश से परोल पर सबसे अधिक 3577 लोगों को रिहा किया गया। इसके बाद पंजाब से 3479, हरियाणा से 2859, उत्तर प्रदेश से 1989, केरल से 1128, दिल्ली से 1010, पश्चिम बंगाल से 488 और कर्नाटक से 405 लोगों को पैराल पर रिहा किया गया। वहीं, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और ओडिशा से 334, 228, 182, 133 और 103 कैदियों को परोल पर रिहा किया गया।