नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से 74 फीसद ग्रामीण भारतीय संतुष्ट हैं। वहीं 78 फीसद ग्रामीण भारतीय संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट हैं। हालांकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और कुछ को अपनी जमीनें, फोन और घड़ियां बेचनी पड़ीं या कर्ज लेना पड़ा।
मीडिया प्लेटफॉर्म ‘गांव कनेक्शन’ द्वारा 30 मई से 16 जुलाई के बीच कराए गए सर्वे में कुल 25,371 लोगों से शारीरिक दूरी का पालन करते हुए आमने-सामने सवाल पूछे गए। इसे 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 179 जिलों में कराया गया। इसका डिजाइन और विश्लेषण लोकनीति और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलेपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) ने किया।
सीएसडीएस में प्रोफेसर संजय कुमार ने सर्वे के हवाले से बताया, मोदी सरकार के कदमों का समर्थन करने वाले 37 फीसद लोगों ने कहा कि वे बेहद संतुष्ट हैं, जबकि अन्य 37 फीसद ने कहा कि वे काफी हद तक संतुष्ट हैं।
14 फीसद लोग मोदी सरकार के कामों से असंतुष्ट हैं
14 फीसद ने कहा कि वे कुछ हद तक असंतुष्ट हैं, जबकि सात फीसद ने कहा कि वे बहुत असंतुष्ट हैं। खास बात यह रही है कि भाजपा शासित राज्यों के लोग मोदी सरकार और राज्य सरकार के कदमों से कम प्रभावित थे।
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों के प्रति मोदी सरकार के रुख के बारे में 73 फीसद ने इसे अच्छा बताया जबकि 23 फीसद ने इसे खराब बताया। लॉकडाउन की सख्ती के बाबत पूछे जाने पर 40 फीसद ने इसे बेहद सख्त करार दिया, 38 फीसद ने इसे पर्याप्त सख्त बताया जबकि 11 फीसद ने कहा कि इसे और सख्त होना चाहिए था। सिर्फ चार फीसद ने कहा कि लॉकडाउन होना ही नहीं चाहिए था।
सर्वे के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान करीब 23 फीसद ग्रामीण भारतीयों को कर्ज लेना पड़ा। 71 फीसद राशन कार्ड धारकों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें सरकार से गेहूं और चावल मिला था।