रायबरेली में सीआरपीएफ के शहीद जवान शैलेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर का डलमऊ गंगा तट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मौके पर सीआरपीएफ जवानों ने उन्हें सलामी दी।
शहीद शैलेंद्र की अंतिम यात्रा पर जनसैलाब उमड़ पड़ा और भारत माता की जय के नारों के बीच अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा पर गांव के आसपास के लोग इकट्ठे हो गए। भीड़ इतनी थी कि लोग शैलेंद्र के दर्शन के लिए गंगा पुल और पेड़ों पर चढ़ गए।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के सोपोर में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवान शैलेंद्र सिंह शहीद हो गए थे।शैलेंद्र सिंह के परिजन बताते हैं कि उसमें बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने और मर मिटने का जुनून सवार था। अक्सर वह अपने पिता से कहा करता था कि उसे कोई नौकरी नहीं चाहिए। उसका सपना है कि वह देश की तरफ आंख उठाने वालों को कड़ा सबक सिखाए।
शहीद के चाचा वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि शैलेंद्र कहता था कि जब भी हमारा कोई साथी जवान शहीद होता है तो बहुत दुख होता है। इसलिए जब मौका मिलता है मैं आतंकियों और पाकिस्तानी सेना से मोर्चा लेकर उन्हें सबक सिखाने का काम करता हूं। उसका यही जुनून देश सेवा में समर्पित हो गया।
उन्होंने बताया कि शहीद शैलेंद्र सिंह गांव के संगी-साथियों के साथ सेना में जाने की तैयारी करता था। इसके लिए रोज पांच किलोमीटर की दौड़ लगाने के साथ ही शारीरिक व्यायाम किया करता था।
पिता नरेंद्र बहादुर सिंह कहते हैं कि शैलेंद्र को देश भक्ति की फिल्में देखने में रुचि रहती थी। वर्ष 2008 में मेहनत के बाद सीआरपीएफ में नौकरी मिली और सेना में जाने का उसका ख्याब पूरा हुआ। 10 साल पहले चांदनी से उसकी शादी हुई थी। शादी बाद उसका एक बेटा कुशाग्र है। शहर में मकान बनाने के बाद भी शैलेंद्र का गांव जाना कम नहीं हुआ। छुट्टी पर आने पर वह बराबर गांव जाता था और अपने साथियों से मुलाकात करता था।
उन्होंने बताया कि जब शैलेंद्र छुट्टी से घर आता था तो साथ में खेल किट लाता था और गांव के युवाओं को देता था। साथ ही युवाओं में सेना में जाने के लिए जोश भरता था। उन्हें प्रैक्टिस कराता था।