नई दिल्ली। सरकार द्वारा गठित एक न्यायाधिकरण ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) पर केंद्र द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध की पुष्टि की है।
दिल्ली हाई कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सिंघल की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने सात नवंबर को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) पर प्रतिबंध की पुष्टि की और पुष्टि का आदेश सीलबंद लिफाफे में अधिसूचना जारी करने के लिये केंद्र के पास भेज दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने MDMK नेता और राज्यसभा सांसद वाइको समेत सभी पक्षकारों का पक्ष सुनने के बाद यह फैसला लिया है।
बता दें कि गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत बनाए गए न्यायाधिकरण ने 27 मई को अपने गठन के बाद दिल्ली और चेन्नई में सुनवाई की थी। भारत ने सबसे पहले 27 साल पहले 1992 में भी 14 मई को ही LTTE पर प्रतिबंध लगाया गया था।
मालूम हो कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में हत्या के बाद भारत ने लिट्टे पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से हर पांच साल बाद इस संगठन पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया जाता है। इस आतंकी संगठन को 2009 में श्रीलंका में सैन्य शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इससे पहले संगठन पर 2014 में पांच साल के लिये प्रतिबंध लगाया गया था।
गौरतलब है कि भारत ने गैरकानूनी गतिविधियों संबंधी अधिनियम के तहत 14 मई 1992 को पड़ोसी देश श्रीलंका के विद्रोही संगठन लिट्टे पर प्रतिबंध लगाया था। वहीं इससे पहले ही यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका में भी इस संगठन पर प्रतिबंध था। तमिल विद्रोहियों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या किए जाने के बाद वर्ष 1992 में इस संगठन पर गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया था।