रायपुर। देश में विकास दर में इन दिनों गिरावट का दौर चल रहा है। अर्थव्यवस्था की स्थिति कमजोर हो रही है। विकास दर के अपेक्षित लक्ष्यों से हम बहुत पीछे चल रहे हैं। ऐसी स्थिति को लेकर देश के अर्थशास्त्रियों में चिंता नजर आ रही है। भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार रहे जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ कौशिक बसु ने कहा कि भारत में जिस तरह की आर्थिक विकास की दर में गिरावट हुई है ऐसी नहीं होनी चाहिए।
ग्रामीणों तक पैसा पहुंचने की कमी
भारत के ग्रामीण इलाकों तक क्रय शक्ति यानी जनता तक पैसा पहुंचने की कमी है ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2019 में पूरे भारत में आर्थिक विकास की दर 4.5 प्रतिशत तक पहुंच गई इसके पहले साल 2016 में यह करीब 7 फीसद तक थी।
इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन का 102 वां एनुअल कॉन्फ्रेंस
डॉ बसु राजधानी रायपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित द इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के 102 वां एनुअल कॉन्फ्रेंस में बाकी अर्थशास्त्रियों को संबोधित कर रहे थे।
देश की फिजिकल कंडीशन बहुत टाइट
डॉ बसु ने विशेष बातचीत में कहा कि देश की फिजिकल कंडीशन बहुत टाइट है। कृषि के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार को समन्वय बिठाकर काम करना चाहिए। छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कि यहां पर लोगों तक परचेसिंग पावर के लिए काम किया जा रहा है पर केंद्र सरकार के साथ समन्वय में होना जरूरी है।
डॉ. कौशिक बसु विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री रह चुके हैं
डॉ. कौशिक बसु एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं और अमेरिका में रहते हैं। वे 2009-12 में यूपीए सरकार के दौरान भारत सरकार में प्रमुख अर्थशास्त्री के पद पर कार्यरत थे। फिर वे 2012 से 2016 तक के लिए विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री चुने गए। बसु को वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
विशेषज्ञों ने कहा- भारत की अर्थव्यवस्था चिंता का विषय है
कॉन्फ्रेंस में कई अर्थशास्त्रियों ने भारत की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आयात आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है। रुपये के गिरने का भी फायदा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत को नहीं मिल रहा है।
चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर का फायदा भारत को नहीं मिला
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर का फायदा भी भारत को नहीं मिल रहा है। अलबत्ता, रुपये की गिरावट के कारण और चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का स्पष्ट फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलना चाहिए था।