कोरोना वायरस से होने वाली पहली मौत से लेकर अब तक 200 दिनों में मौतों का आंकड़ा एक लाख के पार चला गया है। मौजूदा समय में देश के 734 जिलों में से 717 जिले ऐसे हैं, जहां कोरोना से कम से कम मौत हुई है। जबकि 40 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां 40 फीसदी से भी ज्यादा मौतें हुई हैं।
अमेरिका और ब्राजील के बाद केवल भारत ही है, जहां इतनी संख्या में कोरोना वायरस से मौतें हुई हैं। आइए उन तीन कारणों को जानते हैं जिसकी वजह से देश के जिलों में कोरोना का कहर इतना ज्यादा बढ़ा है…
भारत के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्से में घातक
देश का दक्षिणी हिस्सा बुरी तरह से कोरोना वायरस की चपेट में आया है। देश में हुई कुल मौतों में से 37 फीसदी मौतें अकेले महाराष्ट्र राज्य में हुई हैं। वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा तुलनात्मक तौर पर कम है। हाल में आंकड़ों में आए उछाल के बाद बिहार में कुल 910 और उत्तर प्रदेश में कुल मौत का आंकड़ा 5,917 हो गया है।
हाल ही में पंजाब में भी कोरोना वायरस से होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है। पंजाब में सीएफआर तीन फीसदी है, जो राष्ट्रीय स्तर 1.56 फीसदी से कहीं ज्यादा है।
महाराष्ट्र के 20 में से 13 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
देश के 734 जिलों में से 20 जिले ऐसे हैं, जो देश में कुल मौतों में से 45 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। इन 20 जिलों में से 13 जिले अकेले महाराष्ट्र से हैं। महाराष्ट्र राज्य में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं। वहीं मुंबई में होने वाली दस मौतों में से एक मौत कोरोना वायरस के मरीज की होती है।
इसके अलावा चेन्नई में भी काफी ज्यादा मौतें हुई हैं। चेन्नई में 3,238, बंगलूरू में 3,024, कोलकाता में 1,737 और दिल्ली में 5,438 मौतें हुई हैं। ये आंकड़ा शुक्रवार शाम तक का है।
ग्रामीण जिलों में दिखा बेहतर प्रदर्शन
कोविड-19 का असर सबसे पहले महानगरों में देखने को मिला लेकन धीरे-धीरे अब इस वायरस का कहर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है। देश के 584 जिले जो ज्यादातर ग्रामीण या पूरे तरह से ग्रामीण घोषित किए गए हैं, वहां कोरोना वायरस से कुल 49 फीसदी मामले हैं और 38 फीसदी मौतें हुई हैं।
वहीं देश के पूर्ण तरीके से शहरी और ज्यादातर शहरी इलाकों में कोरोना के 36 फीसदी मामले हैं लेकिन मौत का आंकड़ा 47 फीसदी है। बता दें कि देश में जिलों को पांच वर्गों में वर्गीकृत किया हुआ है जो ग्रामीण जनसंख्या के अनुपात पर आधारित है। पूरी तरह से शहरी (ग्रामीण जनसंख्या का 20 फीसदी), ज्यादातर शहरी (20-40 फीसदी ग्रामीण), मिश्रित (40-60 फीसदी ग्रामीण), ज्यादातर ग्रामीण (60-80 फीसदी ग्रामीण) और पूरी तरह से ग्रामीण (80 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण)।