नई दिल्ली/मथुरा। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के चलते इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का रंग फीका है। तमाम पाबंदियों के बीच जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ और बड़े स्तर पर सजाई जाने वाली झांकियां नदारद हैं। हर साल की तरह इस बार दही-हांडी उत्सवों का आयोजन नहीं हो पाया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल स्थित अपने आवास पर कृष्ण जन्माष्टमीके मौके पर पूजा की।
दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में स्थित इस्कॉन टेंपल में जन्माष्टमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने प्रार्थना की। इस दौरान उन्होंने भजन भी गाया।
कोरोना वायरस के कारण पाबंदियों की वजह से इस बार ‘कृष्णलीला’ और कोई अन्य विशेष धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया। हालांकि कुछ मंदिरों में ऑनलाइन अनुष्ठान किए गए। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े प्रमुख स्थलों जैसे- मथुरा, द्वारका, वृंदावन में कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से ठीक पहले लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की भी खास व्यवस्था की गई।
मथुरा में भक्तों के लिए मंदिर बंद
भगवान कृष्ण के जन्मस्थल मथुरा के मुख्य मंदिरों में इस बार भक्तों की भीड़ बेहद कम रही। सामान्य तौर पर इस मौके पर लाखों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते थे। श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक थी, लेकिन मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान के बाहर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और भगवान कृष्ण के भजन गाकर अपनी आस्था को व्यक्त किया।
महाराष्ट्र में नहीं दिखी दही हांडी उत्सव की धूम
दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर में पूजा की। कोविड-19 महामारी का असर मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में दही-हांडी उत्सव पर भी देखने को मिला और इसकी वजह से त्योहार फीका रहा। यहां के मंडलों ने पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल सादे तरीके से ही त्योहार मनाने का फैसला लिया था। सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों को देखते हुए दही-हांडी मंडल मानव पिरामिड बनाकर दही हांडी नहीं फोड़ा।
इस साल सिर्फ सांकेतिक तौर पर फोड़ी जा रही दही हांडी
मानव पिरामिड बनाने के बदले मंडल इस अवसर पर स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण अभियान चला रहे हैं। इसके तहत वे रक्तदान शिविर लगा रहे हैं और स्थानों से प्लास्टिक हटाने के कार्य में जुटे हैं। अनेक वर्षों से महाराष्ट्र में यह उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता रहा है, खासतौर पर मुंबई और पड़ोसी क्षेत्र ठाणे में इस अवसर पर काफी जश्न का माहौल रहता था। दही-हांडी आयोजनों में धार्मिक संस्थाएं, नेता और रंगे-बिरंगे कपड़े पहने गोविंदा के रूप में युवाओं की टोली हिस्सा लेती थी। इस साल सिर्फ सांकेतिक तौर पर ही दही-हांडी मटकी फोड़ी जा रही है।
मुंबई के घाटकोपर क्षेत्र से बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा कि सामान्य स्थिति में उनके मंडल के दही-हांडी उत्सव में पांच-छह लाख लोग आते हैं। कदम ने कहा , ‘आम समय में दही-हांडी उत्सव का हमारा आयोजन भारत में सबसे बड़े स्तर पर होता है। लेकिन इस साल कोविड-19 संकट के मद्देनजर इसे हमने सादे तरीके से सामाजिक दूरी बनाते हुए मनाया। मानव पिरामिड नहीं बनाया गया। बस सांकेतिक तरह से त्योहार मनाने के लिए एक बच्चे ने मेज पर चढ़कर ऊपर टंगी हांडी को फोड़ा।’
राजस्थान में घरों में रहकर ही त्योहार मना रहे लोग
राजस्थान में जन्माष्टमी का पर्व लोग घरों में ही रहकर हर्षोल्लास, उत्साह और धूमधाम से मना रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते सभी प्रमुख मंदिरों के बंद होने के कारण जहां लोगों में मायूसी है, वहीं शहर के कुछ मंदिर प्रशासन की ओर से डिजिटल दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। जयपुर के आराध्यदेव गोविंद देव जी के मंदिर में जन्माष्टमी के पर्व पर प्रशासन की ओर से मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है। रात के 12 बजे विधिवत पूजा और मंत्रोच्चार के साथ भगवान कृष्ण का अभिषेक करवाया जाएगा।
देश के कुछ हिस्सों में मंगलवार को यह पर्व मनाया गया था। वैदिक मंत्रों के बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार की रात गोरखनाथ मंदिर में जन्माष्टमी मनाई थी। मुख्यमंत्री बुधवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर के परिसर में स्थित गोशाला भी गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन्माष्टमी के मौके पर नागरिकों को बधाई दी है। राष्ट्रपति कोविंद ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बुधवार को देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और परिणाम की चिंता किए बिना कर्म पर ध्यान केंद्रित करने के भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को दोहराया।