कोरोना काल में विदेशियों की एंट्री पर रोक लगाने वाले चीन ने अब देश में गैर-मुल्क के लोगों की एंट्री की अनुमति देना शुरू कर दिया है। लेकिन इसके साथ ही एक नया पैतरा चलते हुए चीन ने उन लोगों को ही वीजा देने का फैसला लिया है, जिन्होंने उसी की कोरोना वैक्सीन लगवाई हो। नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने मंगलवार को यह जानकारी दी। ऐसे में भारतीयों के लिए चीन जाना आसान नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि भारत ने चीन में बनी कोरोनै वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। इसके अलावा भारत और चीन के बीच कोई सीधी विमान सेवा भी फिलहाल नहीं चल रही है।
चीनी दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह चीन जाने वाले लोगों की सुविधा के लिए किया गया है। चीनी दूतावास ने कहा कि पढ़ाई, कारोबार और रिश्तेदारों से मिलने के लिए जाने की इच्छा रखने वाले लोगों की सुविधा के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। हालांकि चीनी दूतावास ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह फैसला किन लोगों पर लागू होगा। बता दें कि चीन में बड़ी संख्या में भारत के छात्र रहते हैं। करीब 22,000 छात्र चीन में पढ़ाई करते हैं, जो फिलहाल भारत में हैं क्योंकि चीन ने उन्हें अभी अपने देश में एंट्री नहीं दी है।
भारत में चीनी वैक्सीन लगवाने को लेकर मसला यह भी है कि भारत सरकार की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। चीनी दूतावास या राजनयिक दफ्तर में कोरोना वैक्सीन तब तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकती, जब तक केंद्र सरकार से अनुमति न मिल जाए। चीन ने यह नियम ऐसे वक्त में बनाया है, जब वह दुनिया भर में अपनी दवाओं को प्रमोट करने की कोशिश में है। फिलहाल चीन ने अपने 6.5 करोड़ नागरिकों का वैक्सीनेशन किया है। इसके अलावा कई अन्य देशों को भी वह अपनी वैक्सीन मुहैया करा रहा है। हालांकि क्लिनिकल ट्रायल डाटा में पारदर्शिता न होने और अन्य कई कारणों से कई देशों ने चीन की वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। हालांकि अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में चीन अपनी वैक्सीन को बेचने में सफल रहा है।