लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस तेजी से बढ़ रहा है। जिसके बाद भी डाॅक्टर व पैरामेडिकल अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। वहीं हरदोई रोड स्थित दुबग्गा में एक निजी अस्पताल के दो डाॅक्टर व एक नर्स में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। कोरोना की पुष्टि होने से इलाके में हड़कंप मच गया है। जानकारी होने पर आनन-फानन में सीएमओ कार्यालय से अस्पताल को अगले आदेश तक बंद कराकर सेनिटाइज कराने के निर्देश जारी कर दिए। दिया गया। तीनो कोरोना संक्रमितों को भर्ती करा दिया गया है और अस्पताल के बाकि डाॅक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ के सैंपल लेकर उन्हें होम क्वारेंटाइन रहने की सलाह दी गई है। इससे पहले भी दो बार इस निजी अस्पताल को संक्रमण फैलने की आशंका के चलते बंद किया जा चुका है।
सीएमओ डाॅक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल अस्पताल को अग्रिम आदेशों तक बंद रखा जाएगा। इसके अलावा कोरोना पॉजिटिव पाए गए डॉक्टर और नर्स के सम्पर्क में आने चिकित्सा कर्मियों के साथ उनके परिवार के लोगों की सूची बनाकर उनकी जांच के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ प्रवक्ता योगेश रघुवंशी के मुताबिक राजधानी के तीन मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। ये सभी संक्रमित तीनों मरीज हरदोई रोड स्थित दुबग्गा के एक निजी अस्पताल में कार्यरत हैं। इनमें दो डाॅक्टर व एक महिला नर्स शामिल है। वहीं सर्विलांस व कांटेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर 224 लोगों का सैंपल टीम द्वारा लेकर जांच के लिए केजीएमयू भेजा गया।
बता दें कि बीते 24 मई को निजी अस्पताल में गुर्दे के एक मरीज की डायलिसिस की गयी थी। मरीज को भर्ती करने के साथ ही उसकी कोरोना जांच भी कराई गयी और अगले दिन आई रिपोर्ट में कोविड-19 की पुष्टि हो गयी। कोरोना संक्रमण का पता चलते ही आनन-फानन में डायलिसिस यूनिट को बंद करवाते हुए बुजुर्ग मरीज के सम्पर्क में आने वाले सभी चिकित्सा कर्मियों को क्वारेंटाइन कराया गया। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत क्वारेंटाइन के पांचवे दिन स्टाफ की कोरोना जांच करायी गयी। उनकी रिपोर्ट आयी तो अस्पताल प्रशासन के होश उड़ गए। अस्पताल के दो डॉक्टर और एक नर्स कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
सीएमओ प्रवक्ता योगेश रघुवंशी ने बताया कि कैरिज एंड वैगन कॉलोनी, आरपीएफ कॉलोनी, सेवाग्राम कॉलोनी, रेस्ट कैंप कॉलोनी, कैश एंड पे कॉलोनी, मवैया पश्चिम, माल गोदाम, पान दरीबा, पंजाब नगर रेलवे कॉलोनी आदि इलाकों में संक्रमण से मुक्ति के लिए 3 सदस्यीय 36 टीमें और 13 सुपरवाइजर की टीमों द्वारा कार्य किया गया। टीम ने घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया। टीम ने 2868 घर का भ्रमण कर 12100 जनसंख्या को आच्छादित किया।