देश के कई भव्य मंदिरों के वास्तुकार और रामलला मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा कि राम मंदिर को बहुमंजिला बनाने का निर्णय होता है तो वह उसके लिए डिजाइन में बदलाव के लिए तैयार हैं। सोमपुरा ने कहा कि राममंदिर का प्रारूप जिस तरह का है वैसा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं है। जिस तरह तीर्थ स्थल विकास पर तैयारी हो रही है इसमें कोई शक नहीं कि यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण होगा। चंद्रकांत सोमपुरा ने ‘हिन्दुस्तान’ के अमरीश कुमार त्रिवेदी से राम मंदिर के डिजाइन से जुड़ी हर एक बारीकी पर विस्तार से चर्चा की।
अगर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट निर्देश देती है तो मंदिर को दो से तीन मंजिला बनाया जा सकता है और इसके लिए डिजाइन में परिवर्तन करने को वह तैयार हैं। इससे मंदिर की भव्यता में कोई फर्क नहीं आएगा। द्वाका मंदिर सात मंजिला है और देश-दुनिया विदेश के उत्कृष्ट मंदिरों में से एक है। मंदिर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दर्शनाथियों को कठिनाई नहीं होगी। मूर्ति तो एक जगह रहेगी।
अगर मंदिर परिसर क्षेत्र को 67 एकड़ की जगह 100-1200 एकड़ में विस्तारित कर दिया जाए और हम उस हिसाब से मंदिर निर्माण का नया डिजाइन तैयार कर देंगे। ट्रस्ट का निर्देश मिलने के 15 दिन के भीतर ही हम डिजाइन में बदलाव के साथ नया मास्टरप्लान तैयार कर देंगे। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुरूप स्थापत्य कला, निर्माण शैली में पूरा बदलाव किया जा सकता है।
मंदिर निर्माण में कितनी लागत आएगी?
मंदिर के मौजूदा डिजाइन के हिसाब से करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च बढ़ सकता है। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समयसीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की जरूरत होगी।
मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के दो साल के भीतर इसे पूरा किया जा सकता है, लेकिन अभी यह ट्रस्ट को तय करना है कि कितना जमीर पर मंदिर बनेगा। कितनी जगह में अन्य सुविधाएं विकसित होंगी। बजट, संसाधन, तकनीक और जिम्मेदारी जितनी जल्दी तय होगी, उतनी जल्दी निर्माण कार्य हो सकती है। वहीं, पूरे तीर्थ स्थल को विकसित करने के लिए टाउन प्लानिंग की जरूरत होगी। सरकार, ट्रस्ट और प्रशासनिक अमले को पूरे तीर्थ स्थल का खाका तैयार करने के साथ तय करना है कि किसे क्या जिम्मेदारी दी जाए। अहमदाबाद में 27 छोटे मंदिर का निर्माण कार्य तो हमने 15 महीने में पूरा कर दिया था। गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर हैं तो काफी लंबा चला था, क्योंकि एक साथ बजट नहीं मिला।