दुनियाभर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली एफएटीएफ ने बुधवार को पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” में रखने का फैसला किया। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब इमरान खान ने दुनियाभर में यह दिखाने की कोशिश की थी कि पाकिस्तान में किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा। ऐसे में “ग्रे लिस्ट” में पाकिस्तान को डाले जाना इमरान खान के लिए एक बड़ा झटका है। दरअसल एफएटीएफ का मानना है कि पाकिस्तान अपने यहां लश्कर और जेईएम जैसे आतंकी समूहों की टेरर फंडिंग को रोकने में नाकामयाब रहा।
वुधवार को एफएटीएफ की वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में जारी रखने को लेकर फैसला लिया गया। पाकिस्तान भले ही दुनिया के सामने अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन बैठक में एफएटीएफ का मानना था कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की टेरर फंडिंग पर रोक लगाने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए। हालांकि, इस बीच पाकिस्तान के लिए सुकून भरी खबर यह है कि उसे ब्लैक लिस्ट में नहीं डाला गया है। दरअसल एफएटीएफ के वर्चुअल अधिवेशन में इस बात पर फैसला लेना था कि पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा जाए या ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाए।
कोविड-19 महामारी के कारण वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की तीसरी और अंतिम बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक को चीनी प्रेसीडेंसी जियांगमिन लियू के नेतृत्व में आयोजित किया गया था। एफएटीएफ की बैठक में यह तय हुआ कि पाकिस्तान को अक्टूबर में होने वाली अगली मीटिंग तक के लिए ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखा जाएगा।
बता दें कि पाकिस्तान को पिछले साल अक्टूबर के बाद से अब तक दो बार ग्रे-लिस्ट में यह एक्सटेंशन मिल चुका है। दरअसल महामारी का हवाला देते हुए एफएटीएफ ने इस बार उन सभी देशों को ग्रे लिस्ट में ही रखा है जो पहले से इस लिस्ट में शामिल थे। वहीं, जो देश पहले से ब्लैक लिस्ट में शामिल थे, उन्हें भी ब्लैक लिस्ट में रखा गया है।