डेस्क। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा सप्तमी का दिन महत्वपूर्ण होता है। इस दिन गंगा जी में स्नान करना शुभ माना जाता है। गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा का विधान है। इस दिन गंगा मां की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस बार यह पावन दिन गुरुवार, 30 अप्रैल को मनाया जाएगा। गंगा सप्तमी पर गंगा जी में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है, परंतु इस बार कोरोना वायरस के कारण संपूर्ण देश में लॅाकडाउन चल रहा है जिस वजह से इस बार गंगा जी में स्नान करना संभव नहीं है। इस बार घर में ही स्नान वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान करें और मां गंगा का ध्यान करें। आज, हम आपको कुछ मंत्र बताने जा रहे हैं, जिनके जप से गंगा में स्नान के समान ही लाभ मिलता है।
कुछ मंत्र जिनके जप से गंगा में स्नान के समान लाभ मिलता है।
ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं ।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।
गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥
श्री गंगा मां की आरती
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ॐ जय गंगे माता…
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता…
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता…
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
ॐ जय गंगे माता…
जय गंगा मैया मां जय सुरसरी मैया।
भवबारिधि उद्धारिणी अतिहि सुदृढ़ नैया।।
हरी पद पदम प्रसूता विमल वारिधारा।
ब्रम्हदेव भागीरथी शुचि पुण्यगारा।।
शंकर जता विहारिणी हारिणी त्रय तापा।
सागर पुत्र गन तारिणी हारिणी सकल पापा।।
गंगा-गंगा जो जन उच्चारते मुखसों।
दूर देश में स्थित भी तुरंत तरन सुखसों।।
मृत की अस्थि तनिक तुव जल धारा पावै।
सो जन पावन होकर परम धाम जावे।।
तट-तटवासी तरुवर जल थल चरप्राणी।
पक्षी-पशु पतंग गति पावे निर्वाणी।।
मातु दयामयी कीजै दीनन पद दाया।
प्रभु पद पदम मिलकर हरी लीजै माया।।
हर हर गंगे, जय मां गंगे,
हर हर गंगे, जय मां गंगे ॥
ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ॥
॥ ॐ जय गंगे माता…॥
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता॥
॥ ॐ जय गंगे माता…॥
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता॥
॥ ॐ जय गंगे माता…॥
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता॥
॥ ॐ जय गंगे माता…॥
ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता॥
ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।