लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गन्ना किसान की आत्महत्या पर केंद्र व राज्य सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते छह वर्षो के कार्यकाल में व्यापारी और किसान बुरी तरह से बर्बाद हुए है। लेकिन अपनी इस बर्बादी की कहानी कहें किससे, जब प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री केवल घोषणाएं करके ही अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो रहे है। वहीं किसान आत्महत्या कर रहे हैं और भाजपा सरकार अपनी हवाई उपलब्धियों का जश्न मना रही है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि खुद गन्ना मंत्री सुरेश राणा के गृह जनपद मुजफ्फरनगर के सिसौली कस्बा विधानसभा क्षेत्र के बुढ़ाना में किसान ओमपाल पुत्र फुला (55) का गन्ना खतौली मिल वालों ने लेने से मना कर दिया था। उसके 6 बच्चे हैं, घर की माली हालत खराब थी। जिसके बाद लाॅकडाउन में आर्थिक हालात और बिगड़ी तो उसमें आवसाद में आकर आत्महत्या कर दी। उन्होंने कहा कि उसका तीन बीघा गन्ना खेत में खड़ा है। सपा ने पीड़ित परिवार को एक लाख रूपए की मदद की हैं। वहीं सरकार को चाहिए 10 लाख रूपये की मदद करें। किसानों का चीनी मिलों पर 20 हजार करोड़ रूपया बकाया है। किसान अपनी ट्रैक्टर ट्राली में गन्ना लिए मिल गेट के बाहर लाइन में खड़े-रहने को मजबूर है। खेत में खड़े गन्ने को जलाने के अलावा किसान के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है। क्योंकि मिले अपने सेंटर उखाड़ रही हैं।
उन्होंने कृषि अध्यादेश पर कहा कि अभी दो दिन भी नहीं गुजरे केन्द्र-राज्य दोनों ने किसानों के लिए एक देश एक बाजार खोल दिया है। अब किसान अपना गन्ना किस राज्य में लेकर जाएगा? प्रदेश में ही क्रय केन्द्र खुले नहीं हैं। गेंहू-धान की खेप लिए किसान मारा-मारा फिर रहा है। सरकार की अनदेखी से बिचैलिए कम दामों में उसकी फसल खरीद रहे है। भाजपा सरकारें किसान को बहकाने के लिए नए-नए ऐलान करती है। लेकिन होता कुछ नहीं है। जब अपने प्रदेश में किसान को मुख्यमंत्री कुछ नहीं दे पा रहे हैं तो उसे दूसरे प्रदेश में ढकेल कर आत्मनिर्भरता के नाम पर खुद चाहे जियो या मरो का पाठ पढ़ा रहे है।