सैदपुर विधायक सुभाष पासी ने मंगलवार को लखनऊ में भाजपा का दामन थाम लिया । प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराया। इससे राजनीतिक सियासत गर्म हो गई है। भाजपा का यह बड़ा दाव माना जा रहा है।
बता दें कि बीते ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव के बाद से ही सपा में सुभाष पासी का विरोध शुरू हो गया। इंटरनेट मीडिया पर भी विधायक को ऐसी चीजें झेलनी पड़ रही थी। तभी से लग रहा था कि विधानसभा चुनाव से पहले सुभाष पासी पार्टी बदल सकते हैं। विधायक के राजनीतिक इतिहास पर प्रकाश डाले तो 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सादात विधानसभा से चुनाव लड़े थे जिसमें इन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2012 में सपा के बैनर तले सैदपुर विधानसभा से चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने। 2012 बार में पुनः दूसरी बार विधायक बने। तीन भाइयों में सबसे बड़े सुभाष पासी के छोटे भाई मोती पासी देवकली के ब्लॉक प्रमुख भी रह चुके हैं। तीसरे भाई काशी पासी की कुछ दिन पहले निधन हो गया था। सुभाष पासी की पत्नी रीना पासी अक्षर फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। पद ग्रहण के दौरान भोजपुरी अभिनेता दिनेशलाल निरहू भी रहे। सूत्रों के मुताबिक वह काफी समय से भाजपा के संपर्क में थे। विधायक प्रतिनिधि आशू ने इसकी पुष्टि की है।
इससे पहले अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी पार्टी से निष्काषित कर दिया था। पार्टी की तरफ से बताया गया है कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। इस कारण उन्हें समाजवादी पार्टी से निकाला गया ।
वैसे सुभाष पासी के भाजपा में शामिल होने के फैसले को गाजीपुर में सपा का बड़ा नुकसान माना जा रहा है। सुभाष ने 2017 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विद्यासागर सोनकर को हराया था। उस चुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत सैदपुर में झोंक दी थी। सुभाष पासी मूल रूप से मालवीय नगर, नगर पंचायत सैदपुर, के रहने वाले हैं उनकी पत्नी रीना पासी जिला पंचायत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उन्होंने वर्ष 1975 में पुणे बोर्ड महाराष्ट्र से हाईस्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 2012 में चुनाव लड़े और विधायक बन गए। इनका मुख्य कारोबार मुंबई में है और परिवार के साथ वहीं रहते हैं।